दे दे अगर मोहब्बत में जान भी हम उनके लिए
तो तकलीफ़ उनकी ये इल्ज़ाम तो नहीं आएगा-
वृक्ष का केवल एक भाग हूँ वृक्ष नहीं हूं
राजा ज... read more
हमें ठुकराया था गरीबी के कारण कभी उसने
सुना है नया प्यार उसने हाथ फ़ैलाकर मंगा है-
बहुत मुद्दतो के बाद ख़ुद को पाया है
जो खो चुके थे जाने के बाद उनमें-
उनसे भी छोड़ दिये हैं अपने सारे गिले
जो हमसे तो मिले पर हमको न मिले-
कुछ अनकहे कुछ अनसुने
कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे है
कुछ प्रातः से कुछ साँझ से
कुछ मन से कुछ दिमाग से
कुछ खुद से कुछ उनसे भी
पर कुछ बाकी है जो अभी
है बात जो कहनी हमेँ अभी
तन की पीड़ा से अधिक
मन की पीड़ा है अभी
शरीर चलता जा रहा
मन हारता थकता रहा
इक्छा शक्ति अब है नहीं
ह्रदय भीतर जल रहा
पर कुछ बाकी है जो अभी
है बात जो कहनी अभी
पावँ के छाले वो मेरे
दिखते नहीं किसी को अभी
ह्रदय विचलित होता जा रहा
न मस्तिष्क में है अब शांति
है भावना अब मर रही
शून्य सा न कुछ शेष है
शरीर ही बस अवषेष है
पर कुछ बाकी है जो अभी
है बात जो कहनी अभी
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तुम स्टारबक्स की काफ़ी सी
में टपरी वाली चाय प्रिय
तुम उड़ती हवाई जहाज़ में
मेरी साइकिल वही पुरानी प्रिय
तुम फ्रेंडजोन में रहने वाली
मुझ पर घर की जिम्मेदारी प्रिय
तुम फ़्राईड राइस की शौकीन हो
मेरे सने दाल भात से हाथ प्रिय
तुम पब डिस्को में जाने वाली
में शिव भजन में लीन प्रिय
तुम शहर की गोरी सुंदरी सी
मैं गाँव का अल्हड़ लड़का प्रिय
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वो नज़र से नज़र को देखा जो हमनें
नज़र को नज़र की नज़र लग गई
नज़रों का दोष न था नज़रो को न कहना
गुस्ताख़ी तो ये निकम्मे दिल से हुई
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ख़्वाबों के सहारे न छोड़ो हमकों
मोहब्बत का कुछ सिला दो हमें
या मोहब्बत की इनायत करो
या जनाज़े का फ़ातिया ही पढ़ो
कुछ तो मोहब्बत के बदले हमें भी दो......🖋️
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मिला हूँ एक अरसे के बाद ख़ुद से
कुछ पहले जैसा अब रहा नहीं मुझमें-
उम्मीद की जद ख़त्म कहाँ हुई अभी
अभी तो उड़ान शुरू की ही है हमने
और गिरे है कुछ ठोकरों से हम यहाँ
ठोकरों से जिंदगी ख़त्म हुई कहाँ है अभी-