कुछ ख़त है जो तुम्हें लिखें नहीं
कुछ लफ्ज़ है जो तुम्हें कहें नहीं
इंतज़ार है चाँदनी रात का हमें
हाथ है जो तुम्हारा अभी थामा नहीं
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Durgesh Mishra
(दुर्गेश "शांडिल्य")
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बात इतनी है कि ख़ुद का होके भी खुद का नहीं हूं
वृक्ष का केवल एक भाग हूँ वृक्ष नहीं हूं
राजा ज... read more
वृक्ष का केवल एक भाग हूँ वृक्ष नहीं हूं
राजा ज... read more
Joined 22 October 2017
28 MAY AT 12:39
4 MAR AT 23:56
क्या पाया मैंने इस मोहब्बत में
लड़ा जब पाया अकेला इस मोहब्बत में
और रूठे जब वो मनाया हमने मोहब्बत में
हम रूठे तो उनको गुस्सा आया मोहब्बत में-
20 FEB AT 22:20
वक्त बुरा है मेरा मैं नहीं
क़सूर मेरा है उसका नहीं
छोड़ा उसने मुझे अकेला
इश्क़ हमें था उसे नहीं-
9 JAN AT 23:23
उस गली से गुजरके वहाँ पहुँचे हम
जिस जगह चार कंधो पे आते है लोग
वो तो है ख़ुश घर बसा गैरो की गली में
हमें अपनी गली मैं रहने न दे लोग-
16 OCT 2024 AT 20:58
चाहत में थे मशगूल जिसके
वो मसरूफ़ थे किसी और मैं
और सजाये थे सपने जिसके
उसके अपने ही कोई और थे-
14 SEP 2024 AT 8:06
है तमन्ना कुछ और दूर चलने की
टूटकर बिखरने की बिखरकर बनने की
समझ आये तो करे मोहब्बत हम भी
वरना क्या ज़रूरत हमें बेमौत मरने की-
16 MAY 2024 AT 13:05
छोड़ के गइल पियवा परदेस में
समाईया बीतत नइखे हमर देस में
बिरहन के रोग हमारा जे लगा के गईला
कलकतवा जाए कहे बिसराइला
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