Durgesh Mishra   (दुर्गेश "शांडिल्य")
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Joined 22 October 2017


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28 MAY AT 12:39

कुछ ख़त है जो तुम्हें लिखें नहीं
कुछ लफ्ज़ है जो तुम्हें कहें नहीं
इंतज़ार है चाँदनी रात का हमें
हाथ है जो तुम्हारा अभी थामा नहीं

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4 MAR AT 23:56

क्या पाया मैंने इस मोहब्बत में
लड़ा जब पाया अकेला इस मोहब्बत में
और रूठे जब वो मनाया हमने मोहब्बत में
हम रूठे तो उनको गुस्सा आया मोहब्बत में

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20 FEB AT 22:20

वक्त बुरा है मेरा मैं नहीं
क़सूर मेरा है उसका नहीं
छोड़ा उसने मुझे अकेला
इश्क़ हमें था उसे नहीं

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9 JAN AT 23:23

उस गली से गुजरके वहाँ पहुँचे हम
जिस जगह चार कंधो पे आते है लोग
वो तो है ख़ुश घर बसा गैरो की गली में
हमें अपनी गली मैं रहने न दे लोग

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16 OCT 2024 AT 20:58

चाहत में थे मशगूल जिसके
वो मसरूफ़ थे किसी और मैं
और सजाये थे सपने जिसके
उसके अपने ही कोई और थे

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14 SEP 2024 AT 8:06

है तमन्ना कुछ और दूर चलने की
टूटकर बिखरने की बिखरकर बनने की
समझ आये तो करे मोहब्बत हम भी
वरना क्या ज़रूरत हमें बेमौत मरने की

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15 JUL 2024 AT 18:48

ज़िद थी मोहब्बत बेपनाह करने की
शुबहा टूटा जब अकेला ख़ुद को पाया

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9 JUL 2024 AT 8:14

सब क़बूल है मुझ इस सज़ा में
शर्त की मोहब्बत में तू मिले

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24 JUN 2024 AT 12:12

मोहब्बत है उनसे या कमज़ोरी है हमारी ..........

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16 MAY 2024 AT 13:05

छोड़ के गइल पियवा परदेस में
समाईया बीतत नइखे हमर देस में
बिरहन के रोग हमारा जे लगा के गईला
कलकतवा जाए कहे बिसराइला

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