Durgesh Jadhav   (j@dhav)
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तेरे हुस्न को समेट कर ✍🏾अल्फ़ाज़ करना है।
Joined 7 April 2019


तेरे हुस्न को समेट कर ✍🏾अल्फ़ाज़ करना है।
Joined 7 April 2019
2 JUL AT 20:45

तेरा हाथ थाम शहर का चप्पा चप्पा घुमे तो बताना।
मुझसे ज्यादा तेरी जीत पर कोई झूमे तो बताना।

और मेरे बाद तेरे बदन के तिल चूमेंगे तमाम लोग।
'उम्मीद' मेरी तरह कोई तेरे पैर चूमे तो बताना।

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28 JUN AT 17:47

खूबसूरत शहर भी वीरान लगता है।
सैकड़ों की महफ़िल में भी सुनसान लगता है।

और हालात यूं है तेरे जाने के बाद 'उम्मीद'।
मेरा बिस्तर कब्र और कमरा क़ब्रिस्तान लगता है।

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18 MAY AT 18:08

मैं नहीं बन पाया एक अच्छा बेटा
जो समझे माँ-बाप की परेशानी को
ना बन पाया अच्छा भाई
जो समझ सके बहनों की भावनाओ को
और मैं नहीं बन पाया अच्छा आशिक
जो महबूब की खामोशी को पढ़ सके
ना बन पाया अच्छा दोस्त
जो बुरे वक्त में उनके साथ खड़ा हो सके

अब मैं इस कोशिश में हूँ कि
बन पाऊं एक अच्छा इंसान
जिसकी इस दुनिया को जरूरत है।

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13 APR AT 18:46

किरदार में थी सादगी इसलिए इश्क़ हुआ।
वरना 'उम्मीद' खूबसूरत तो तवायफ़ें भी थी।

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26 MAR AT 18:17

मैं जिस तुम से मिला था तुम अब वो नहीं हो।

वो तुम जो अपने वादों से मुकरा नहीं करती थी।
मेरी जिद्द को ठुकराया नहीं करती थी।

वो तुम जो मुझे हमेशा अपने दिल के पास रखती थी।
मेरा दिल दुखाने में झिझकती थी।

वही तुम जो मुझे अपनी दुनिया कहा करती थी।
वही तुम जो मुझे खोने से डरती थी।

'उम्मीद' तुम अब वो नहीं हो।

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30 JAN AT 20:18

पेड़ काटना था मगर उस पर घर था किसी का।
वो लड़का ताने रोज सुनता जो मुंतज़िर था किसी का।

और सामने आते ही उसका माथा चूमना था लेकिन
'उम्मीद' उसकी मांग में सिंदूर था किसी का।

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11 JAN AT 17:53

हसरतों की आग में कुछ इस तरह जले।
जो नसीब में नहीं उन्हें लगाना चाहते हैं गले।

और तमाम कुर्बानियों के बाद हासिल हुआ जो मकाम।
'उम्मीद' उसकी तमाम खुशियाँ रौंदी जा रही है पैरों तले।

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2 OCT 2024 AT 18:17

तेरे साथ सात साल गुजार दिए तुझे छुए बग़ैर।
जैसे सिगरेट खाक होने दी दो कस लिए बग़ैर।

और इश्क़ को बिस्तर तक ना ले जाने का मतलब है 'उम्मीद'।
शराबी मैख़ाने से लौट आए शराब पिए बग़ैर।

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27 SEP 2024 AT 17:43

शराब में अश्क़ मिलाकर जाम को नमकीन करती है।
रोज़ ख्वाबों में आती है और रात हसीन करती है।

और एक लड़की इश्क़ का इज्हार करने से डरती है 'उम्मीद'।
वही लड़की जो रोज़ छुप कर मेरी STORY SEEN करती है।

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31 AUG 2024 AT 18:14

मुझे सब पता था, वो किस बात पर गुस्सा करती थी
और कैसे पिघलता था उसका दिल।
हमने एक साथ सोच रखा था अपना मुस्तक़बिल।

और जात पात ने छिन लिया वो शख्स 'उम्मीद'।
जिसने दिखाए थे हमें अपने बदन के सारे तिल।

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