मैं खामोश रह के कुछ बातें बोला करुगी
क्या तुम उसे समझ पाओगे?
मैं जिंदगी की कश्मकश मे रहूंगी
क्या तुम सुकून के पल ला पाओगे?
मैं तारों को गिनने की कोशिश करुगी
क्या तुम चांद की अहमियत बता पाओगे?
और बताओ,
मैं तुम्हें औरों की तरह देखूंगी
क्या तुम मेरे बन पाओगे?-
Aaj Achanak ek khayal aaya..
Majhab ki wo deewar nahin Hoti,
Toh kya aaj hum sath hote?
Hath uthana ke tarike agar ek hote,
Toh kya Aaj hum sath hote?
Tumhare naam ko main bejijak le leti,
Toh kya aaj hum sath hote?
Mere laye Prasad Ko agar tum dil se kah lete,
Toh kya aaj hum sath hote?
Ek dusre se baat karne waqt agar hum nahi darte,
Toh kya aaj hum ek hote?
Aur bachpan ki mohabbat na hoke agar matlab ki mohabbat hoti,
Toh kya aaj hum ek hote?
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Wo kya hai na,
Mujhe Aadat Nahin Hai rone ka,
per tum aa k apna kandha de dena.
Mujhe aadat ni h bejijak baten karne ka,
per tum aa k ghanto baith jana.
Mujhe aadat ni h dost banane ka,
per tum aa k hath Badha dena.
Mujhe aadat ni h Ajaan Ki awaaz sunne ka,
per tum aa k mujhe her roz utha dena.
Mujhe aadat ni h Aarti ki thal uthane ka,
per tum aa k mujhe sar jhukana sikha dena.
Mujhe aadat ni h ishq wale love ka,
per tum aa k Arijit Singh k gaane suna dena.
Mujhe aadat ni h waqt dene ka,
per tum aa k mujhe thora apna waqt de dena.
Kya pta uss waqt m meri aadatein badal jaaye.
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प्यार के दिन बलिदान,
पुलवामा में खोए अपनी जान,
अमर है आज भी वह शहीद जवान,
जो हुए हैं भारत मां के लिए कुर्बान।
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पुराने से हो गए हैं जख्म अब,
फिर भी दर्द दे जाते हैं।
महरम लगाने वाले कोई है नहीं,
फिर भी हम इंतजार में बैठ जाते हैं।
प्यार से कभी इश्क हो ना पाया,
पर दोस्ती ने भी बेहिसाब रुलाया।
जिसे सच्ची दोस्ती का मतलब समझाया,
उसने हमें झूठा बतलाया।
जिनकी गलतियां तक हम छुपाया करते थे,
उन्होंने हमारे आंसुओं को ही गलत बताया।
जिस दोस्ती की हम मिसालें दिया करते थे,
उस दोस्ती को उसने बखूबी शमशान पहुंचाया।
गलतियां कुछ हमसे भी हुई थी,
दोस्ती को खुदा जो समझ लिया था।
धरती पर मिले कांटो को,
जन्नत का गुलाब समझ लिया था।
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कुछ पल खुद के साथ बिताना बेशक जरूरी है,
पर इतना मत बिता लेना की
अकेलेपन की आदत लग जाऐ।-
वक्त खामोशियाँ को पङने जानता
होगा तो पङ लेगा,
वक्त आखों मे आसूं लिए मुसकुराते चहरे को
पहचाना जानता होगा तो पहचान लेगा,
इस चहरे के साथ बिताए बचपन के
हर लम्हें का मौहताज बनना,
अगर वक्त जानता होगा तो आज बन जाएगा।-
औरतें उस मछङदानि की तरह है,
जो रात को काम आती हैं
औंर सुबह कोने में पैकी जाती हैं।-
आज हम फिर हारे हैं,
पर इस बार शहरों को छोड़,
गाँवों की ओर भागे है।
शहरों में तो अपने देशवासी भी परवसी हैं
पर गांवो मे तो आज भी काशी हैं,
अकेलेपन ने शहरों की बिस्तर सजाई है,
लेकिन गाँवों की राते आज भी तारे ही लेकर आईं हैं।
शहरों की रेड कार्पेट जहां भूक से थोड़ा डगमगा रही हैं,
वहीं गांवों ने आज भी हरयाली की चादर तानी हैं।
जो शहरे कभी गाँवों की हसी उङाया करती थीं,
आज वहीं गाँवों ने शहरों को उनकी औकात दिखाई हैं।
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So that,
You cover my Stretch Marks by your skin,
teach my broken Heart to sing,
and my hopeless Soul to win.
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