गंगा में, अस्थि विसर्जित करते समय, और पितृ जनों को जल देते वक्त ये स्मरण हो आता है, की इस जीवन में "मैं" शब्द कितना तुच्छ और छोटा है,
जीवन का उद्गम कैसा भी रहा हो, मिलना तो रख बनकर इसी जल में हीं है, कोई अस्तित्व हीं नहीं है मेरा, जिस, "मैं" शब्द को प्रस्तावित करने के लिए, आज इस दुनिया से जो कथित तौर पर युद्ध चल रहा है, क्या इसका वास्तव में कोई अर्थ है,
अपने आने वाली पीढ़ियों पर इस बात के लिए निर्भार शील रहना, की वो हमारे नाम को जीवित रखेंगे, उनका हमारे लिए आदर, हमें शायद स्वर्ग में शांति दे, कहने को यह बस मान्यताएं है ,पर शायद इन्हीं मान्यताओं ने जीवन को एक रूप देकर रखा है।
इतना ही बस की हमने इस जीवन में जो कुछ भी सिखा वह अपनी आने वाली पीढियां को दे जा सके, जीवन का अर्थ शायद बस इतना सा हीं है, इसके आगे मुझे तो कोई और अर्थ समझ नहीं आता।-
मैं इस वक्त जहां हूं, वहां से थोड़ी दूर एक पुराना पुल है,
फुल काफी पुराना हो जाने के कारण टूटने की कगार पर है, पर जब भी मैंने इस पुल को पार करना चाहा तभी इसकी मरम्मत करने वाले आते और मरम्मत करवा कर चले जाते , पुराना ही सही कमजोर ही सही पर पुल आने जाने लायक हो जाता, मैं भी कभी-कभी यह भूल जाती कि यह पुल कमजोर है कभी भी टूट सकता है। पर एक दिन पुल काफी बुरी तरह से टूट गया, मुझे लगा मरम्मत करने वाले जल्द आएंगे इसे ठीक करने, पर कोई नहीं आया, पुल अभी जैसे भी हालत में है, मुझे इसी हालत में इसे पार करना होगा , इसी वक्त पार करना होगा, यही सोचकर मैं कदम बढ़ाया और धीरे-धीरे उस टूटे हुए पुल को पार किया जिसकी अब ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है। पुल के दूसरी तरफ कुछ कच्ची सड़के हैं जो अभी बन रही हैं, और कुछ बन चुकी हैं, अब मुझे हीं तय करना है, कि कौन सी सड़क ली जाए और कहां जाया जाए।-
स्याही, कलम, और किताबों को दराज में रखने का वक्त आखिर आ हीं गया,
अल्फाज़ अब किसी काम के नहीं रहें,
जो हैं भी, उन्हें अब कभी कोई पढ़ नहीं पायेगा,
क्योंकि अल्फाजों की लिपि कुछ बदल सी गई है,
बस मौन, वेदना, और सन्नाटों में छिपी हुई सिसकियां हैं,
जिन्हें कोई पढ़ना वैसे भी पसंद नहीं करता।-
मुश्किल है अपना प्रेम प्रिये,
ये प्रेम नही है खेल प्रिये ।।
तुम गंगा का एक छोर हो,
मैं दूसरी छोर की नाव प्रिये ,
तुम दूर नभ के उड़ते पंछी,
मैं मिट्टी की घास प्रिये,
कब तुम्हारे छोर तक वो मुझे ले जाएगा
इसका इंतज़ार है,
कब तुम दाना चुगने , मुझसे आ मिलो,
ये भी बड़ा सवाल है।।
जीवन दुर्गम है तुम्हारा,
और संघर्ष का मेरा
पर चांद, सूरज दोनों का एक सा है
चेहरे पर बच्चों सी मुस्कान है,
दोनों की एक सी,
ये संजोग भी अजीब सा है,
तुम हो प्रज्वलित अग्नि
मैं हूं पानी की धार प्रिये,
पृथ्वी सा भारी है हृदय तुम्हारा
मैं हूं उसकी अंश मात्र प्रीये ,
मुश्किल है अपना प्रेम प्रिये,
ये प्रेम नही है खेल प्रिये ।।
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I think that all the schedules and articles in our Constitution have been written so that students can read them and pass any competition and get a job as they desired, because at present I don't see it to get implemented anywhere , It would have been nice if they had got a job, but even that did not happen, papers get leaked, and when those frustrated and disheartened students, following the rules of the Constitution, do peaceful protest, then they either get beaten by the police or end up in jail or hospital.
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I hurt you people
I am sorry
You hurt me people
Then also i am sorry
This is a case of worry
Because from now on
I will keep myself aside.
And for this i am not sorry-
तो जनाब अर्ज किया है,
नजरे हमारी ठहर जाती है उस मुस्कुराहट पर,
नजरे हमारी ठहर जाती है उस मुस्कुराहट पर कुछ देर तक,
पर फिर नजरे हटा भी लेते हैं, क्योंकि इस दिल की बातें जाती नहीं हैं उस दिल तक,
जनाब उस चेहरे की हंसी तो उतरती है, हमारी रूह में,
जनाब उस चेहरे की हंसी तो उतरती है, हमारी रूह में,
पर नजरें फेरने में ही भलाई लगती हमें, क्योंकि हम नहीं पहुंचते उनके रूह तक।
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया-
मुझे लगता है अपने प्रेम को व्यक्त करने से पहले व्यक्ति के मन में जो भावनाएं होती हैं वह सबसे ज्यादा पवित्र और सुंदर होती है। इस अवस्था में व्यक्ति बिना किसी आशा के बस प्रेम करते रहता है। जिनसे प्रेम हों ,जब सामने होते हैं, वो बस उन्हें निहारता रहता है, और जब आंखों के सामने ना हों, बस उन्हीं के बारे में सोचता रहता है, पर जैसी भी हो यह उसके मन की भावनाएं होती हैं, जिसमें उसे कोई पीड़ा नहीं होती, वो बस अपने प्रेम को देखता है और खुश रहता है। इसके विपरीत जब वही व्यक्ति अपना प्रेम व्यक्त कर देता है, दो चीज़ें होती हैं, या तो उसके प्रेम को स्वीकृति मिल जाती है या फिर नहीं मिलती, अगर प्रेम को स्वीकृति नहीं मिलती, तो वह दुखी हो जाता है, वह पहले की तरह अपने प्रेम को निहार भी नहीं पाता, उसके मन में झिझक आ जाती है, पहले की तरह वह खुलकर अपने प्रेम से बात भी नहीं कर पाता, और अगर उसके प्रेम को स्वीकृति मिल जाती है, तो उसकी आशाएं भी बढ़ जाती है, और इन्हीं बढ़ती आशाओं की वजह से उनका प्रेम कभी-कभी मुझे छोड़ कर चला जाता है।
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Man suffers the most
when he cannot express
his feelings the way
he wants to. The strings of his
feelings are attached to
some external chains
which prevents him
from doing to do so.-
कई महीनों से सपनों में जीने के बाद, दुबारा हकीकत से सामना हुआ, जिंदगी तुझसे दुबारा से राबता हुआ।
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