DULAL ROY   (दुलाल)
827 Followers · 1.4k Following

🙏🙏🙏
(l Love to write)
Joined 28 December 2019


🙏🙏🙏
(l Love to write)
Joined 28 December 2019
2 AUG 2022 AT 16:52

नजर अगर लगे किसी की मुझे
तो वह तुम्हारी ही नजर लगे
अगर तुम्हारे प्यार से न निखर पाए
मेरी जिंदगी
तो दुआ करुंगा कि मेरी बर्बादी का सारा इलजाम
केवल तुझपर ही लगे ।

-


2 AUG 2022 AT 11:59

बिन बातों का बतंगड़ बन गया
एकबार किसी नें मुड़कर क्या देखा
यह दिल तो बावला हो गया ।

-


2 AUG 2022 AT 11:25

जिस तरह पानी उसी पौधा पर डालना चाहिए
जिसे इसकी जरूरत हो वरना
पानी और पौधा दोनों ही नष्ट हो जाते है
ठीक उसी तरह प्यार और महत्व भी उसी को दीजिए
जिन्हें इनका मूल्य समझ आए ।

-


24 JUL 2022 AT 9:39

बिन मौसम बारिश हो सकती है
पर बिन वजह नजरें
बार बार मिलतें नहीं
तुम कहते हो तो चलो मान लेता हूँ
कि तुमको हमसे प्यार नहीं
पर कुछ तो देखा होगा
तुमनें मेरी इन आँखों में
जो मेरी मोहब्बत को ठुकरा कर भी
तुम्हें चैन नहीं ...

-


16 JUL 2022 AT 15:06

इश्क न तो मजहब देखता है
और ना ही जात -पात
जिसने भी की इबादत इसकी
यह उसी का हो लिया ।

-


15 JUL 2022 AT 12:39

Don't analyze it just live it
and if you can feel it it's beautiful and that's life.

-


9 JUL 2022 AT 9:53

সে য়ে বোঝে না
তোমার ভালোবাসা
তূমি তার জন্য কেন
এত দূঃখ পাও ৷
টিপ -টিপ করে ঝরে জাঢ্ছে
দেখো বৃষ্টির জল
খোলা জালনা দিযে একবার
বাইরে তাকাও ।
কখনো ভিজিযে দেখো নিজেকে
এ বৃষ্টিতে একবার
একবার এ প্রকৃতিকে
ভালোবাসে দেখে নাও
দেখবে ভালো লাগবে এ জীবন টা
আর তখন তূমি নিজেকেব ভালোবাসবে ।

-


7 JUL 2022 AT 13:59

शौक नहीं होगा कोई उसका जिस्म लूटे
पर क्या करे जब किसी की किस्मत फूटे

दुनिया दुतकारती है जिसे सरेआम
परदा कर फिर उसी पर पैसा लुटाती है
वह एक वैश्या है
बेझिझक अपना जिस्म लुटाती है

मिटाकर किसी की हवश की भूख
वह अपने पेट की भूख मिटाती है
किसी की रातों को करने रंगीन
वह बेझिझक अपना जिस्म लुटाती है

वह बदनाम है अपने गलियों में
कभी इज्जत पाने की चाह भी रही होगी
पर चरित्र पर उसके दाग है
वह एक वैश्या है
जब कोई उसके यौवन पर नतमस्तक होकर
उसके सामने गिड़गिडा़ते है
रात की रानी बनकर शायद
वह भी कभी इतराती है ।

-


6 JUL 2022 AT 15:05

दोस्त अगर कोई पुराना मिले
बस हाल चाल ही पूछ लिया करो
काम काज और भविष्य की
बातें अगर हुई
या तो वह मौन हो जाएगा
या फिर तुम्हें अपने रास्ते
चुपचाप निकलना पडे़गा !

-


5 JUL 2022 AT 13:01

अब शाखें है टूट रहे धीरे धीरे
बरगद अब बूढा़ हो चला
अब वह ताकत न रही
उसमें आँधियों से लड़ने की
वह अब सिर्फ सोचता है
और कोशिश करता है समेटना
शाखों पर अब पंक्षियों का भार भी सहा नहीं जाता
पर कुछ पंक्षी है जो उसके खोखले तन पर
अब भी घोंसला बनाकर गुजर वसर करते है
उन्हें बस अब इन्हीं की चिंता सताती है ।।

-


Fetching DULAL ROY Quotes