साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात कि चिन्ता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
~ रामधारी सिंह 'दिनकर'-
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को।
~ मैथिलीशरण गुप्त-
पिता हैं
तो नींद है, सपने हैं
पिता हैं तो सुविधा है नास्तिक होने की
पिता के होते ईश्वर की प्रार्थना ज़रूरी नहीं।
माँ है
तो मुमकिन है शहंशाह होना
माँ के आँचल से बड़ा
दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।
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दर्जी अब सलवारों में जेब लगाने लगे हैं
लड़कियों को यहां तक आने में जमाने लगे हैं।
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हर घड़ी चश्मे-खरीदार में रहने के लिए
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए
अबतो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग
नंगे हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए
मैंने देखा है जो मर्दों की तरह रहते थे
मसख़रे बन गए दरबार में रहने के लिए
- मालती मिश्रा-
अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती है
~ अलीना इतरत-
अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती है
~ अलीना इतरत-
रिश्ते कभी खत्म नहीं होते......
बातों से छूटे तो.... आंखों में रह जाते हैं...
आंखों से छूटे तो... यादों में रह जाते हैं...
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महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुश्बू से,
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है,
दिलों में प्यार जगाने को ईद आई है,
हंसो कि हंसने-हंसाने को ईद आई है.-