DrUsha Dashora   (Usha Dashora)
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Educator, writer, poet.
Facebook page: Poetry the light of life, by Dr.Usha Dashora
Joined 2 July 2017


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Joined 2 July 2017
28 NOV 2020 AT 20:40

आँकड़े नहीं कहते
ये बच्चे कह रहे हैं
सबसे ज्यादा मछलियाँ
घर के वॉटर टैंक में डूबी हैं।

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4 FEB 2020 AT 13:36

कविता अनुशासनहीन विद्यार्थी है

उसे बंद किताबों की परतंत्रता स्वीकार नहीं

उसे दरवाजों के बाहर ढूँढ़ना

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26 NOV 2020 AT 22:55

. इंकलाब के जश्न
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सारे मुहासों में
एक भगतसिंह बैठा है
हमारे अपराधिक हाथ
उसकी हत्या के इश्क में हैं
बिना नाम की स्त्री ने
बहुत सालों से इंकलाब के जश्न नहीं गटके
आओ न्युजएंकर
हरे पेड़ों को फांसी रात तीन बजे होगी
तैयार रहें
हमें देशभक्ति के छ्दम के मुखड़े गाने है

गलत पर चिपका मौन मेरी कविता की मृत्यु होगी।

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6 JUN 2020 AT 12:52


जो बेटे देर रात
घर लौटते हैं
वे कभी नहीं पढ़ पाते
चिंता की चिट्ठियां
जो पिता की आंखों में टहला करती हैं
पर पोस्ट नहीं होती

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10 MAY 2020 AT 13:01



सावधान और विश्राम की मुद्रा में
घर में फर्श पर
गिरे मां के बाल
तुम्हारी चिंता के
दुधमुँहें शिशु हैं

देखना कभी
मां की कंघी में
वहाँ तुम्हारी चिंताओं का
एक पूरा परिवार रहता है

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28 MAR 2020 AT 20:21

तुम्हारे हिस्से में हर बार चाँद आए
ये जरूरी नहीं.....

जिंदगी ने अमावस की रात का
वादा भी किया था।

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28 MAR 2020 AT 17:51

फिर इसी सूरज के नीचे
बच्चे मैदानों में दौड़ेंगे
फिर से इसी छत पर भागेंगे
और पतंगें लूटेंगे
फिर से इसी सड़क पर होंगे चौके
टूटेंगे काँच मोहल्ले के

आखिर ईश्वर
खुद को ही कब तक कैद कर सकता है ।

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10 FEB 2020 AT 16:40

एन्वल फंक्शन में चुपचाप पेड़ बनने वाले
बच्चों की आँखों में बलैया लेता है सूरज

वहीं होता है सृष्टि के उजाले का लेखा-जोखा
उसी में से एक टुकड़ा रोशनी
रोज हमारी ओर फेंक देता है आसमान

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20 NOV 2019 AT 22:04

जैसे तुम्हारा स्पर्श भी
तुम्हारा व्यक्तित्व है
वैसे ही छूना जंगल से चिड़िया के संवाद को
जो रोज़ छोटी प्रार्थनाएँ कर
ईश्वर उगाने में व्यस्त है

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3 OCT 2019 AT 20:44

गिरफ़्त में है ज़मीं वो मान बैठा था
फिर चार काँधों पे ये
कौन किरायदार जा रहा है।

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