DrThakur Deven R Tarkar   (Tarkardeven)
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Joined 1 October 2019


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Joined 1 October 2019
22 APR AT 23:55

तू हुआ भी था क्या कभी मेरा ?
या वो सपना था कोई हसीन
फ़साना ही होगा जो मैं जिया
क्या मालूम तू हक़ीक़त है भी कि नहीं
शायद तू एक भ्रम ही है
जो किसी भी सच से नहीं जाता
काश तू मेरी “मौत” होता
जो आख़िर मेरा हो ही जाता ।

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जो हार दे गई , वो जीत नहीं दे पाती
मुझे ज़मीं से जुड़ा
रहने की सहूलियत
खुद को “ बेहतर ख़ुद”
बनाने की ख़ासियत
फिर से लड़ जूझ
मरने की ताक़त
फिर अटूट इरादों के साथ
ख़ुद की आज़माइश
हार दे गयी , जीत की औक़ात ना थी ।

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14 SEP 2023 AT 12:10

In the world of “ Relationship out of marriage”

Date your wife again

Reserve a table ñ ask her out to propose again 🌸

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27 JUL 2023 AT 1:39

मैं जीने के हुनर का उस्ताद हूँ

ज़िन्दगी को खेल मैंने बनाया है ।

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29 MAY 2023 AT 18:35

क्या ही कहें
बातें तो अपनी तुम , कह के गए
और मन की थी मेरी , दब सी गई
अब क्या ही कहें

छोड़ के गए तुम साथ ही ऐसा
शाम एक हमारी फिर अधूरी रही
अब क्या ही कहें

मिल जाते तुम तो , तुम्हें चुप करा के
कह देते सब कुछ , आँशु ए छुपा के
तुम थे कि हवा से गुज़र ही गये
तुम्हें क्या ही कहें

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8 FEB 2023 AT 22:55

वो ग्रंथों में लिखा होगा
मंदिर की दिवारों में चिना होगा
होगा कोई वो तेरा “जय श्री राम “
जो लाठी लिए सड़को पे उतरा होगा ।

मैंने तो देखा है “मर्यादा पुरुष राम”
एक “ख़ान” में भी देखा है।
तुमने भी देखा होगा
“इंसान” समझा होगा ।

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22 JAN 2023 AT 21:20

मैं ख़ामोश सा रह गया जैसे अनजानों की बातें हो

पर अंदर कुछ था जो बच्चे जैसा पागल हुआ था
हो किसी ने जिसका सब कुछ हाल ही मैं लूटा हो ।

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31 DEC 2022 AT 1:57

बस यूँ ही आज मैंने “ख़ुद “को बताया …
“ये तो तुम्हें पता है कि
सब के साथ तुम्हें अच्छे से रहना चाहिये ।
ये तुम्हें नहीं पता है कि
“तुम्हें ख़ुद के साथ भी अच्छे से पेश आना चाहिए ।”

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21 DEC 2022 AT 19:30

कुछ ख़त थे जो भेजे तुम्हें थे
तुमने पढ़े थे
फिर हम दोनों ने साथ साथ पढ़े थे
वो कागज़ के टुकड़े कितने खुश थे। ।

फिर कुछ ख़त मैंने तेरे नाम लिखे थे
वो तेरी अलमारी मैं बिन खुले पड़े थे
वो कागज के टुकड़े कितने बे-मतलब थे ।

फिर कुछ ख़त थे सिर्फ़ तेरे लिये थे
मन ही मन थे , तुम्हें लिखे नहीं थे
वो कागज़ के टुकड़े मेरी ज़िंदगी से कोरे थे ।

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9 DEC 2022 AT 14:49

मिलता होगा
अच्छे कर्मों से
बेटा
पर एक
बेटी के लिए
अच्छे कर्म और
“इबादते”
दोनों चाहिए

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