DrRavikirti Didwania   (Dil_ki_zamin (Ravikirti))
181 Followers · 165 Following

read more
Joined 6 July 2017


read more
Joined 6 July 2017
5 AUG AT 0:50

अच्छाई की खैरात पे पल जाते है कई
वहम अहम के
इसी ऐब से काबिल नहीं रहते कुछ लोग
खुदा के रहम के।

-


22 JUL AT 22:30

बेशुमार मांगा था
वक्त उसके साथ जीने को
तब चुरा के वक्त उसका
मैं करता रहा मेहनत बहा के पसीने को
अब बस बहुत हो गया
इतना भी नहीं मांगा था
के बच जाए वक्त उसके बाद जीने को।

-


16 JUL AT 16:14

कहते हमें तो ले आते
आपके लिए नींद और कुछ ख्वाब
उसी ख्वाब में हम कर लेते
दो पल की आपसे मुलाक़ात

-


23 JUN AT 2:23

सब मिल जाएगा एक दिन
जो चाहा हो जाएगा एक दिन
सब मिल जाएगा एक दिन
मिट्टी का मिट्टी में एक दिन
वक्त गुजर जाएगा एक दिन
जीने को मिलेगा एक दिन
हसरत हो जाएगी एक दिन
और मौत डराएगी हर दिन
बहुत लोग भी होंगे एक दिन
जब हम नहीं होंगे एक दिन।
एक दिन ये दिन भी बीत जाएगा एक दिन।

-


20 JUN AT 0:46

और कितना छलावा करेगी तू
मेरे आंसुओं में डूब के मरेगी तू
तेरे कर्मों का फल मिलेगा ही
झूठ का खामियाजा भरेगी तू।

-


20 JUN AT 0:32

सारे इम्तेहान लेकर हमारे
उसे हमें बस ठुकराना था
हम निभाते रहे आखिर तक
और उसने कोशिश की ही नहीं।

कसमें वादे सब झूठे निकले
हम खुद भी जरा टूटे निकले
सच है कुछ नहीं होता हमारा
और वो हमारी कभी थी ही नहीं।

हम रहे तो बस उसके नशे में रहे
हालांकि हमने कभी पी ही नहीं
हम भी बदल देते उसकी जगह
पर अब दिल में जगह थी ही नहीं।

-


19 JUN AT 0:20

नजरें करती कैसी हमसे मज़ाक है 
जिस से चुराते है उसी से मिल जाती है 
नजरें हमारी होती कितनी बेबाक है 
ये वजह है इश्क की बाकी तो इत्तिफ़ाक़ है

-


17 JUN AT 23:47

नजर भर देखूं तो तू ही एक तस्वीर है
सोचूं तो तू ही खयाल बन जाता है
आंखे बंद करूं तो तू ही ख्वाब है
और बोलूं तो आवाज बन जाता है
तेरा हर किस्सा मेरा आज बन जाता है
ये बारिश की बूंदें भिगोती है जब भी
तेरे छूने का एहसास बन जाता है।
लफ्ज़ कोई आता है ज़हन में तेरे लिए
तू मेरी ग़ज़ल का अल्फ़ाज़ बन जाता है।

-


16 JUN AT 23:51

उसकी आवाज में जादू तो है
भीतर के कोतूहल को शांत कर देती है
बादल बरस जाते है
मौसम को शीतल कर देती है।
वो हंस देती है तो
हवाएं इठलाती दौड़ पड़ती है।
कुछ देर वो गुनगुनाएं तो
पेड़ो पे पंछी नाचते है
कलियां फूलों को खोल देती है।
वो जब बोलती है
उसके होठों को देखता हूँ
जैसे क्षितिज पे सूरज डूबता है
और उसके शब्द उसकी आवाज
उठती गिरती लहरों सा सुकून देती है।

-


16 JUN AT 22:55

एक तरफ रोशनी
एक तरफ अंधेरा
मिलकर परछाई बन गई
एक तरफ मैं
एक तरफ खालीपन
मिलकर तन्हाई बन गई।

-


Fetching DrRavikirti Didwania Quotes