चलो ये काम भी कर दिया , तुम्हारा एक और सपना पूरा कर दिया । क्यूँ दिल में लेके बैठी हो इतनी ख्वाईशें तुम, दिन ब दिन थक रहे हैं हम। जबाब देने लगा है मेरी शख्शियत का हौसला, अंदर ही अंदर हो रहा हूँ खोखला । और अब खबर फैल रही है मुझे तुम्हारे दिए हुए छालों की । वक्त कोई भी हो बददुआएँ लगेगीं तुम्हें दिलवालों की।
मेरा दर्द अब रेत की तरह बिखर चुका था, वो कंकडों में मेरी रूह को कैसे छाँटता। कि उसकी ऑंखो से बह रहा था समुंदर सा दरिया, मैं टूटी हुई पतवार से दरिये को कैसे काटता।