Drop by drop  
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Joined 10 August 2020


Joined 10 August 2020
27 NOV 2023 AT 1:12

बड़ी मजबूत होती है ये रेशम की गाँठ।
दाँतों की बजाय पलकों से खोलकर देखिये।

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21 SEP 2023 AT 1:24

सर्द रातों का सुरूर जोर पर है ,दिल ये मेरा तेरे मोड़ पर है।
तू मेरी हो या न हो क्या फर्क पड़ता है।
ये कालकूट अब मेरे अधरों पर है।

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11 DEC 2021 AT 0:16

धुँआ है, लौ है और चराग भी है।
जंगल है, दरिया है,और प्यास भी है,
अब शख्स बनूँ या साया ,
क्या फर्क पड़ता है,
गुरुर -ए- बुलंदी और इज्जत-ए- खाक भी है।

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28 MAY 2021 AT 23:46

जिनकी दहलीजों से गुलों की नदियाँ बहती हैं,
कमाल है,
फकीरों को मुट्ठी भर आटा देने में उनकी जान निकलती है।

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28 MAY 2021 AT 0:19


कहते हैं हर कुत्ते का दिन आता है,
मेरा कुछ जल्दी आया।

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27 MAY 2021 AT 7:22

कुछ कहो तुम ये जरूरी तो नहीं,
मेरी नज़रों का नुक्तए नज़र पुराना है।

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24 MAY 2021 AT 19:00

चलो ये काम भी कर दिया ,
तुम्हारा एक और सपना पूरा कर दिया ।
क्यूँ दिल में लेके बैठी हो इतनी ख्वाईशें तुम,
दिन ब दिन थक रहे हैं हम।
जबाब देने लगा है मेरी शख्शियत का हौसला,
अंदर ही अंदर हो रहा हूँ खोखला ।
और अब खबर फैल रही है मुझे तुम्हारे दिए हुए छालों की ।
वक्त कोई भी हो बददुआएँ लगेगीं तुम्हें दिलवालों की।

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8 APR 2021 AT 2:16

उसके घर में आज भी शायरों की आमद रवानगी है,
ये सूरज कल ही सुलगा है,मेरी आग पुरानी है।

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1 APR 2021 AT 0:35

सबूत हैं मेरे घर में ये धुँए के धब्बे ,
जी भर के रात भर कोई सुलगा है यहाँ।

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31 MAR 2021 AT 0:34

मेरा दर्द अब रेत की तरह बिखर चुका था,
वो कंकडों में मेरी रूह को कैसे छाँटता।
कि उसकी ऑंखो से बह रहा था समुंदर सा दरिया,
मैं टूटी हुई पतवार से दरिये को कैसे काटता।

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