7 JUL 2019 AT 16:07



तब ससुराल भी मायका लगता है....

खाने का स्वाद हो थोड़ा फीका,
फिर भी सब मुस्कुरा के कह दें, 'अच्छा बना है'
तब ससुराल भी मायका लगता है।

जब रोज़ सवेरे सबसे पहले उठने, सबसे बाद खाने वगैरह का कोई दिशा निर्देश न हो,
तब ससुराल भी मायका लगता है।

जब थोड़ी सी बीमारी में बालों को सहलाती
सासू मां बालों पर तेल लगा दे हैं,
तब ससुराल भी मायका लगता है।

जब खूब थकी मैं काम से घर वापस आकर बैठूं
और पापा जी कहें ' मेरे हाथ की चाय पियोगी '
तब ससुराल भी मायका लगता है।

जब ननद साल के पहले दिन खुद से पहले मेरी सफलता की दुआ करती हैं,
तब ससुराल भी मायका लगता है।

लोग कहते हैं ससुराल मायके जैसा नहीं होता,
इस बात पर जब कभी शक सा महसूस हो,
तब ससुराल भी मायका लगता है।

है परेशानी, खटपट, झकझक और कचकच हर घर की एक सी कहानी,
मगर मेरे दुख को जब वो अपना समझें
तब ससुराल भी मायका लगता है।

हां होती है किटपिट हमारी भी अक्सर,
मायका याद आता है हमें भी अक्सर
'मायके चली जाओगी' ये कहने का फिर भी जब
मन न करे,
तब ससुराल भी मायका लगता है।





- 'मनकही' ममता