DrMamta Mehra Nanda   ('मनकही' ममता)
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Joined 13 May 2017


Joined 13 May 2017
31 JAN 2023 AT 9:53

पिता कभी विदा नहीं लेते,
पिता सदैव आशीष देते हैं
और भेजते हैं नेह की पाती,
जहाँ भी वो रहते हैं,
वे सदा साथ होते हैं
पिता कभी विदा नहीं लेते🙏

पिता को हर खबर होती है
उनके साये में बेटियाँ बेफ़िकर होती हैं
पिता जब छिपाते हैं ऐनक तले अपने आँसू
बेटियों को भी उन हर एक आँसुओ की ख़बर होती है.
भार रखते हैं वो ख़ुद पर ताकि बेटी भरे उड़ान
पिता कभी विदा नहीं लेते 🙏🙏

लग न जाए ठोकर और चुभ न जाए काँच
इसलिए बेटी की हर राह पर नज़र रखते हैं
साथ चले न चले मगर पीछे अपना हाथ जरूर रखते हैं
कितना भी हों दूर मगर बेटियों की खोज ख़बर रखते हैं
पिता कभी बेटियों से विदा नहीं लेते
पिता कभी बेटियों से विदा नहीं लेते 🙏🙏🙏

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18 NOV 2022 AT 23:09

फ़लक तक साथ तेरा हो
हाथों में हाथ मेरा हो❤
बढ़े जो तेरे कदम आगे
दुआओं का मेरी असर गहरा हो❤

चलूँ मैं साथ यूँ तेरे,
चलो तुम साथ यूँ मेरे
जीवन के तरन्नुम में
सुरीले साज़ हम छेड़ें
निभायेगे जन्मो जनम
लिए जो साथ हैं फेरे
चलो फ़िर आज लें वादे
गठबंधन के तेरे मेरे❤

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18 NOV 2022 AT 23:01

तुम कहो तो पूछ लूँ तुमसे
है मुझमें ऐसी बात क्या
तुम कहो तो बोल दूँ तुमसे
हैं दिल में छुपे जज़्बात क्या!

तुम कहो तो बता दूँ तुमको
मन का अधूरा है ख़्वाब क्या
तुम कहो तो माँग लूँ तुमसे
वादे वफ़ा का हिसाब क्या!!


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4 AUG 2022 AT 19:49

किसी को ना पसंद होना भी
किसी हुनर से कम नहीं क्योंकि
सबकी पसंद बनते बनते...
खुद का सा न रह पाने का मलाल रहता हैl

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29 JUL 2022 AT 0:58

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16 JUN 2022 AT 23:38

अश्क़ कमज़ोर नहीं मेरे दर्दों का वाजिब हिसाब रखते हैं
तुम्हें हो न हो, मेरी मासूमियत से ये पूरा इत्तेफ़ाक़ रखते हैं..

चुभन जब हद से बढ़ जाती है मेरी इन आँखों की
दर छोड़कर अपना, मेरे लिए वो बेहिसाब बहते हैं...

पता पूछ लो जो उनका मेरी आँखों में ही बसेरा है
फ़ना खुद को कर ये, अश्क़ मेरे दिल के सारे ज़ख़्म भरते हैं|

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14 JUN 2022 AT 14:49

निराशा की अमावस्या में
मधु ज्योत्सना भरने वाला स्वप्न
कोकिला के मधुर गान की भाँति
श्रोता को मधुरित करने वाला स्वप्न
वह स्वप्न मेरा वह प्यारा स्वप्न

जीवन के घोर मरुस्थल में
अमिय वृष्टि करने वाला स्वप्न
मृगनयनी के तीक्ष्ण बाणों से भरे तरकस की भांति
मन के रोम रोम में चैतन्य भरने वाला स्वप्न
वह स्वप्न मेरा वह प्यारा स्वप्न

मेरा जीवन में वरदान की भांति आकर
फिर तिरोहित हो जाने वाला स्वप्न
निद्रा देवी ने दिया उपहार स्वरूप मुझे जो
शाश्वत सुगंध वाला स्वप्न
वह स्वप्न मेरा वह प्यारा स्वप्न

वह स्वप्न मेरा वह प्यारा स्वप्न!!

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5 JUN 2022 AT 18:21

हम और पर्यावरण!
पर्यावरण और हम...

एक दूसरे के पूरक, एक दूसरे पर अवलंबित..
सदियों से अन्योन्याश्रित संबंध है हमारा- तुम्हारा..
परस्पर आदान प्रदान की संस्कृति है हमारी...
मगर आज ....
तुम देते थकते नहीं और भूख मिटती नहीं हमारी....

मिट्टी, रेत, बालू, खनिज, औषधि, वनस्पति
पर्वतों से गुज़रती इठलाती, सागरों से मिलती नदी
बादल बरखा बिजली बाग़ बगीचों का अद्भुत आगार
जैव पारिस्थितिकी से संरक्षित 'पर्यावरण'! तुम्हारा नैसर्गिक विस्तार!

जब तुम रहते थे खिले खिले हरे- भरे प्रफुल्लित हर्षाए से
तब पुलकित हो वसुंधरा भी, देती शीतल गोद मुस्काई सी
वनदेवता की स्तुति करता प्रसन्नचित्त था समग्र वनप्रदेश
लोक संस्कृति, लोक धरोहरों से सुसज्जित जैसे कोई दिव्य देश!

अब तो धरती रोती है, अम्बर भी अश्रु बहाता है
स्वार्थ सिद्धि में मानव, मानव कहाँ रह जाता है
जिस गोद में पल कर बड़ा हुआ, उस प्रकृति को ही जलाता है
रासायनिक प्रहारों से पर्यावरण असंतुलित कर जाता है

पर्यावरण से संपोषित विकास का लक्ष्य जब साधेंगे हम
भूमंडल के वैश्वीकरण को प्रकृतिवादी बन नापेंगे हम
तब होगा वास्तविक दिवस वसुधा के उत्कर्षण का
प्रकृति के वंदन का, पर्यावरणीय अभिनंदन का|

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17 JAN 2022 AT 15:09

मौन हो गए नूपुर आज,
झंकार जिनकी थी अप्रतिम,
शांत हुई वह थाप
गर्जना जिसकी गूंजी थी नभ पर्यंत।
थिरका था मन कई बार
तरंगित रोम रोम जिसकी थिरकन पे
एकांत हुई पदचाप आज वह,
ईश्वर के आलिंगन में।

कथक सम्राट बिरजू महाराज जी के चरणों में सादर नमन 🙏
नृत्याकाश आज सूना हो गया😭😭🌷🌷

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15 JAN 2022 AT 16:20

मन की पतंग उड़ने लगी,
कुछ ख़्वाब नये बुनने लगी,
कभी इस डगर कभी उस डगर
छूने को नया वो आसमाँ
नये पंख लगा उड़ने लगी,
मन की पतंग उड़ने लगी।

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