दरक्शा लईक पिहानवी   (दरक्शा लईक पिहानवी)
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Joined 29 November 2019


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Joined 29 November 2019

बड़ी मुश्किल से दिल को मनाया है हमने
न समझ रहा था फिर भी समझाया है हमने
हर रोज़ कर बैठता है जिद़ तुमसे मिलने की
बेखबर है तुम्हारी बेवफाई से जाना
इस बात को भी अभी तक इससे छिपाया है हमने।।।

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मगर भुला पाना उतना ही मुश्किल

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जहां ज़िम्मेदारियों से जिंदगी बेफिक्र थी
हंसते खेलते दिन गुज़र जाते थे
रातें भी खुशगवार हुआ करती थी
मां के हाथ की गर्म गर्म रोटियां
पापा के साथ मेले की चहल पहल थी
तरसते हैं अब उन दिनों को याद करके
काश वो सारे दिन लौट आने की कोई वजह होती।।।

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नींद न आयी
, सिरहाने उसकी यादें ही यादें नज़र आयी
सोचा करवट बदलकर सोया जाए
तो उस ओर भी गुजरे मंज़र की परछाई नज़र आयी

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Creat by Darksha

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तुम्हारी तारीफें तो बेहिसाब है
ले लिया जिसके भी सामने नाम तुम्हारा
बदला में सुना वो शख्स बड़ा लाजवाब है

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लोग मिलेंगे तो अपने बनकर
मगर दिल में गुब्ज हज़ारों भरकर

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वो शख्स अपना सा लगेगा
कमियां हजारों होगी उसमें
मगर दिल को सच्चा ही लगेगा

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उस वक्त का गुज़र पाना
जो अपने साथ हमारे हिस्से के
कुछ ग़म ले आया था।।।

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