हम उस वक़्त मिले, जब तलाश भी नहीं थी,
फिर भी दिलों में कुछ प्यास सी रही थी।
हम मिले क्योंकि हम अधूरे थे,
और एक-दूजे में ही पूरे थे !-
अगर कभी अपनी अंतिम इच्छाएँ मैं लिखूँ,
तो उनमें लिखूँगी — बस तुम्हारा साथ,
प्रिय, तुम आना… और बस थाम लेना मेरा हाथ।
जब साँसें थमने लगें, और आँखें बंद होने लगें,
तेरे होंठों से मेरा नाम आख़िरी बार सुनने लगें।
आँसुओं में डूबा हो मेरा आख़िरी पल,
पर तेरी बाँहों में मिले मुझे अपना कल।-
तेरे बाद ज़िंदगी बस नाम की रह गई,
हर धड़कन में सिसकियों की आवाज़ रह गई।
तुम से अलग तुम्हारे सिवा, कुछ भी नहीं ज़िंदगी में,
थोड़े से तुम, और तुम, फिर तुम, बस तुम-
बंदिशों में घिरा है इश्क़ मेरा,
तुम्हें चाहना भी है और सबसे छुपाना भी है।
हर पल तुम्हारी याद में खो जाना भी है,
और दुनिया के सामने मुस्कुराना भी है।-
इंतज़ार-ए- बायाँ, क्या कहे ज़ालिम,
अब तो कुल्हड़ों ने भी मुँह मोड़ लिया है।”-
क्या रात हो गई,
क्या वही हसीं बरसात हो गई?
क्यों रूठने का बहाना देती है,
क्या तेरी-मेरी वो रात भर वाली बात हो गई?-
तुम साँस हो, उससे ऊपर क्या?
तुम एहसास हो, उससे ऊपर क्या?
मेरे प्यार को जगहँसाई न समझ, ए नासमझ,
तूने प्यार को सर-ए-आम किया — उससे ऊपर क्या?
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दिल की बात पराई कर दी,
ग़मों की जैसे रिहाई कर दी।
कुछ ना बदला, सब कुछ वैसा,
ख़ुद ही मैंने, जगहँसाई कर दी!
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किसी ने अपनी बेचैनियों का बस एक हिस्सा ही जलाया था,
और लोग कह बैठे — भाई, सिगरेट नहीं! 😞
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