ऐ मेरे शहर , मेरे घर
मिले तुमसे बरसो हुए, पर कभी तु इतना अलग न लगा
सड़क खली है , भीड़ गायब है , तू खामोश सो रहा है,
कैसे तेरा ये संन्नाटा सिसकियों में तब्दील हो रहा है,
किस घडी में बुलाया है तूने मुझे , कोई अपना दर्द में है, और कोई अपनों को खो रहा है!!
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