dr.vinay Kumar   (#drvinaykr_✍️)
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Joined 22 August 2020


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Joined 22 August 2020
25 APR AT 0:42

बहुत लोग कहते है आतंकी का मज़हब नहीं होता ,
लेकिन हर वार आतंकी ने अपना मज़हब
दिखया है बस हिंदू को समझाया है मगर हिंदू
कभी समझ ना पाया है ॥तुम्हें जाती में बाटने
वाला कुछ महान नेता बन जाता है जब
जब इस्लामिक आतंकी ने तुमसे क्या पूछा
तुम्हारा जातक्या है किस प्रांत के हो उसके
लिय बस यह काफी है की तुम हिंदू हो अगर
मुस्लिम हो तो कटने का सबूत दिखाओ
और क़लमा पढ़ों तुम्हें नहीं मारेंगे॥देश में रहते
है बहुत ग़द्दार जो इस्लाम के नाम पर आतंकी
को पनाह देते है अपने देश के हिंदू भाई को इस्लाम के
नाम पर जेनोसाइड करवाते है कब तक तुम हिंदू कटतें
रहोगे कब तक तुम बटतें रहोगे॥अब नहीं सम्भलोगे
तो कब सम्भलोगे मेरे भाई॥चुन चुन कर मारों उन गद्दारों
को जो इस्लाम का नाम पर आतंक फ़्लाये और मिटा दो
उसके वंश का नाम जो इस्लाम के नाम पर आतंकी बन जाए॥
एक ही मज़हब को होता है बस तुम लोग मार खाते
हो भाईचारा के नाम पर॥मैं नमन करता हूँ उन सपूतों को
जिसने मरना पसंद की मगर अपना धर्म हिंदू बताया॥
व्यर्थ नहीं जाएगा उन हिंदू भाइयों की बलिदानी,ऐसे
एक एक आतंकी को जहन्नुम पहुंचाया जाएगा और उन
गद्दारों की भी जिसने उन्हें पनाह दिया और उनके आकाओ
सैंग उसका पूरा वंश॥मुझे गर्व है अपने हिंदू होने पर
अब सोये हुए भी हिंदू जाग उठेंगे और ऐसे इस्लामिक
आतंकी को उन्हें सबक सिखायेंगे॥

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23 APR AT 18:09

हिंदी , मराठी , गुजराती , तमिल , बंगाली कौन सी भाषा बोलते हो ये नहीं पूछा ... गुजरात , महाराष्ट्र , तमिलनाडु , कर्नाटक , बंगाल , बिहार , यूपी कहां से हो ये भी नहीं पूछा .... दलित , ब्राह्मण , जाट, ठाकुर , बनिया , यादव ,OBC क्या हो ये भी नहीं पूछा ...। सिर्फ हिन्दू थे ये उनके लिए काफी था। और हम यहां जाति , प्रांत , भाषा के लिए लड़ रहे है।
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए सभी हिंदुओं को भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏🙏

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31 MAR AT 12:54

عید کا پیغام پیارا ہے، عید کی مٹھاس پیاری ہے۔
میٹھی سیویا، میٹھی ڈش، یہی عید کی پہچان ہے۔
سفید لباس اور سفید پوشاک پہنے سبھی لوگ عید الفطر کا تہوار ایک ساتھ مناتے ہیں۔
امن کا پیغام دینا اللہ کا حکم ہے۔ دشمن کو بھی گلے لگانا اور اسے عید مبارک۔
میں اور میری اسکن کیئر فیملی آپ کو عیدالفطر کی خوشیاں

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30 MAR AT 13:52

वैदिक ज्ञान बिन ज्ञान कैसा वैदिक शिक्षा बिन पढ़ाई कैसा ॥
मिट रहा है तुम्हारा संस्कृति भुला बैठा है मनुष्य अपना ज्ञान ॥
दूसरे का बोझ ढोनें की आदत सी पड़ी अपना बोझ का है ना ज्ञान॥
आनंद मनाने बैठ जाते हो अंग्रेजो हुकूमत का साल भूल बैठा है मानव अपना संस्कृती का ज्ञान॥
पढ़ा लिखा भी अज्ञानी मूर्ख भाया सब होए जो वैदिक ज्ञान अपनाए वही पढ़ा लिखा होए॥
माता अम्बा दिव्य रूपा ,पग रहे अनुरिक्त,हे भवानी माँ अनंता,सर्वदा हिय भक्ति ॥
साधना आराधना संग , हो भजन चाहूँओर,रिपु दलहन शुभ कारणी ,आरती कर जोर ॥
नव संवत्सर २०८२ व चैत्र नवरात्रि
की असंख्य शुभकामनाएँ ॥
माता रानी सभी पर कृपा बनाए
रखें और नव वर्ष मंगलमय हो ॥

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26 MAR AT 14:31

॥ मानव अपने बर्बादी का ज़िम्मेदार स्वयम है ॥
१.दिन भर फ़ोन चलाना और दूसरे से बिन काम के बात करना
२. समय से नहीं उठाना स्वयम् के जीवन में आलस लाना ॥
३. अपने समय पर कर्तव्य से विमुख होना ॥
४. यह सोच कर आज का काम टाल जाना की अभी समय बाक़ी है॥
५. ना समय रुकता किसी के लिए ना उम्र ॥
६.ऐसे मानव ही बोलते मेरे भाग्य और समय ख़राब है॥
७.श्री कृष्ण ने कहाँ है हे पार्थ मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयम् है जो जैसा कर्तव्य निभाता है मैं उसे जीवन में उतना ही फल देता हूँ ॥
॥ सकारात्मक विचार डॉक्टर साहब के साथ ॥

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26 MAR AT 0:07

चाहत है चार पड़ाव की यह कामना पूरी हो जाए ॥
होती है यह सबकी इच्छा हर पड़ाव में सुख समृद्धि मिले॥
जो जैसा कर्तव्य निभाता उसे वैसा ही फल मिल पाता ॥
अक्सर लोग आज कल के युग में तीन पड़ाव तक जी पाते है ॥
बड़े भाग्यशाली होते वह व्यक्ति जो चार पड़ाव तक जीवन व्यतीत कर जाते है ॥
सब अपने कर्मों की लेख है उसी कर्म के अनुसार ही अपना जीवन कि सुख पाए ॥

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24 MAR AT 23:42

मत आँशूँ निकालना उन फेवाफ़ा के लिए जिसने तुम्हें कभी सम्मान किया ही नहीं ॥

अब तेरे बदले उसके ही आँशू आयेंगे जब उसे तुम्हारे सद्गुणों का अहसास होगा ॥

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24 MAR AT 23:22

सबके नज़र में मैं बेहतर बनना सीख लिया सभी को खुश रखने के लिए मैं अपना कर्म करना भी भूल गया।
सभी मेरे बातों को सुनकर खुश हो जाता मैं भी उनके बातों को सुनकर एक खुशहाल जीवन का आनंद पा लेता ॥
अनुभूति तो कुछ वर्ष तक हुआ ही नहीं जब स्वयम् पर जिम्मेदारी का भार आया वैसे ही मेरे सारे जान पहचान वाले मुंह फेर गया ॥
अब पश्चताने से क्या होगा मेरा जब उम्र की दूसरे पड़ाव पर जिम्मेदारी का बोझ आया ॥
काश उन दिनों मैं अपने कर्तव्य पर ध्यान लगाता और अपने जीवन में सबकुछ पा लेता ॥

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23 MAR AT 15:06

ऐसे ही नहीं मैं तलवार बन जाता मुझे भी तपना पड़ता है उन आग के लपटों से ,एक वार नहीं सौ वार मुझे आगों में तपाया जाता॥
तप-तप कर जब मैं लाल हो जाता मुझे कूट कूट कर धार बनाए॥




एक वार नहीं हर वार मुझे कूटा जाए और मुझे सुंदर सुनहरा सा एक तलवार बनाए तव पश्चात ही मैं एक लोहे के टुकड़ा से सुंदर तलवार बन जाता हूँ और मुझे सभी पसंद करते है और घरों में सजाया जाता हूँ ॥

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22 MAR AT 18:37







॥ पुरूष का दुःख बेजुबान हर पल ॥

वो ना अपने माता को गले लगाकर रो सकता है और ना ही बेझिझक अपने पिता का॥
वह अपने पत्नी को बताकर रो सकता है ना अपने पुत्र को ॥
वह अंदर से टूट भले जाता है मगर ख़ुशी का दिखावा करके सबसे घुल मिल जाता हैं ॥
रात को अपने मन की स्वप्न पर धर्य रखकर सुबह सभी मुस्कुराता हुआ दिखाई देता है ॥
वह रोता है कहीं छुप कर स्वयम् के साथ ॥ हर दुख को स्वयम् से ही लड़ जाता है और हर सूख को पूरे परिवार में बाँट जाता है यह हर पुरुष का कालचक्र है ॥
कहते है पुरुष की बलिदानी कोई हिसाब ही नहीं होता ॥
वह हर रूप के अपना कर्तव्य निभाता है कभी पिता बनकर कभी पति बनकर तो कभी भाई बनकर ॥

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