पर्यावरण पर दोहे
आज स्वार्थ में हम करें, धरती को बेहाल
धरा क्रोध में फिर करे ,विनाश अति विकराल।
दूषित है पर्यावरण ,धरा हुई बीमार
बुख़ार इसका बढ़ रहा ,कर लो कुछ उपचार।
भोजन सबको चाहिए ,खेती से परहेज़
जल बिन जीवन सून पर , रहे न नीर सहेज।
साँसे हमको दे रहे , जंगल और उपवन
पेड़ लगाए ख़ूब हम , सबसे ये निवेदन ।
Dr Versha singh- डॉ वर्षा सिंह
5 JUN 2019 AT 20:04