Mene chod diye hai rishte nibhane Koi nhi hai ab jise chahe dil apna banane, Ye duniya hai sahab, Sau achhai ki jagah ek burai ko deti hai For chahe hum kitna bhi isko apna maane.
अब कोई मनाने वाला नहीं चाहये रूठ जाऊ तो पास आने वाला नही चाहये बहुत देर लग गई समझने में की ये जज़्बात एक तरफा था खैर, अब मुझे भी तेरी बाहो का सहारा नही चाहिए।
जी लेंगें तूमसे हम दूर होकर , क्या खोएंगें अब औऱ सब कुछ खोकर वक़्त बढ़ता रहा पर तु हमे समझ न पाया इस सफर में मिली है ठोकर ही ठोकर अब कोई हमनवां नही चाहिए... अंधेरी चाहिए शामें जवां नही चाहिए।।