बारिश की छतरी में और जीवन की छतरी में असमानताएं बहुत हैं,पर एहसासों की भाव में समानताएं बहुत हैं।
एक परिस्थितियों की जरूरत है तो दूसरी उपलब्धियों की मुद्दत है।
एक में ठहराव भी है,पर दूसरे में निरंतर प्रवाह ही है।
एक मौसमी बुखारों के दुष्प्रभाव से बचाता है तो दूसरा निरंतर हमारा पहचान बढ़ाता है।
छोड़ देता है एक कुछ वक्त के लिए साथ हमारा तो दूसरा अपने ठहराव का निरंतर मार्ग सजाता है।
घर-परिवार करते हैं कभी तेरे ठहरने का इंतजार, तो करते हैं दुआएं हजार सर्वदा तेरे आगे बढ़ने का।
तू रुप के जाने कितने रंग में सजता है,तू बिना रुप-रंग आकार के ही जंचता है।
तू भौतिकता का अधम प्रयास है, तो तू मेहनत और दृढ़ता का असीम साक्षात्कार है।
तू बाजारी वस्तु है आसानी से बिक जाएगा, तेरे कीमत अमूल्य है हर पैसा हार जायेगा।
असमानताओं की ये लकीरें कभी न मिट पायेंगी।
उपलब्धियों का ताज अपना परचम सर्वदा फहरायेगा....!!
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