Dr Suman Raushan  
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Joined 29 April 2017


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Joined 29 April 2017
17 APR 2022 AT 2:30

रात दरख़्त के साये में
दिन सूरज के पास
कुछ लम्हें खुशी के
कुछ पल थोड़ा उदास
मैं ढूंढता हूं एक शख्स
तेरे जैसा,
जिसमें उम्मीद बहुत है
है बेहतर कल कि जिसे तलाश
होने से लगता है जिसके
घर अब दूर नहीं है ज़्यादा
सुकून यहीं पर है
आसमान में नहीं
ज़मी पर है
ढूंढ़ लो इसे
और जियो बिंदास

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29 APR 2017 AT 16:24

तेरे शहर में बारिश का मौसम है फिर आज
मेरी यादों के झोकों ने जुल्फों को छुआ तो होगा

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30 JUN 2021 AT 0:46

बहता हुआ सा पानी, पत्थर नहीं हूं मैं
खोजो तो दिल में अंदर, बाहर नहीं हूं मैं
उम्मीद तुमने रक्खी है उतना कहाँ से दूँ
एक मामूली सा कतरा, सागर नहीं हूं मैं

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21 JUN 2021 AT 0:41

निकलता है तुझ से भी रस्ता, मंजिल कोई दूर नहीं है
मैं कहता हूं तू भी हीरा है, अकेला कोहिनूर नहीं है

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23 AUG 2020 AT 23:28

जितना मैं बाहर तक था उतना अंदर हो गया हूं
मैं एक दरिया तुझसे मिल कर समंदर हो गया हूं

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21 JUN 2020 AT 14:53

दुनिया ने रफ्तार है पकड़ी
सबकुछ पल-पल बदल रहा है
हर लब पर अनबोली बातें
हर सिर पर कोई टहल रहा है
मधुमक्खी के घर खाली हैं
शहद है सारी शीशी के अंदर
कछुए खरगोश कि रेस नहीं
अब जीत रहे हैं बिल्ली-बंदर
दुनिया हँसती है पल-पल और
तुमको आ जाते हैं आंसू
सबकुछ है श्मशान सरीखा
लेकिन थोड़े जिंदा हो तुम
कोई भी तो बात नहीं जो
थोड़े से संजीदा हो तुम

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1 NOV 2019 AT 22:13

सब वृक्ष सूखते जाते हैं
ऐ माली पानी दे वन को
कुछ किरणें जो दें हरियाली
तु भेज पुनः उन्हें जीवन को

जब युग है हुआ संवेदनहीन
है घूम रही उल्टी चरखा
माना तु नहीं आ सकता स्वयं
पर भेज तो सकता अर्जुन को

ना बनारस में रस है कोई
ना मक्के से कोई मशविरा
बड़ी पेंच में फस गई है दुनिया
एक बार तो आजा दर्शन को

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31 OCT 2019 AT 21:59

सभी से मिलकर सभी का होना चाहता है
अजीब शख़्स है ताउम्र रोना चाहता है

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30 OCT 2019 AT 22:27

ख़ुद का पथ उलझा भी हो पर सबको राह दिखाते चलना
सीख रहा हूँ मैं सूरज से चुप-चुप रहना भीतर जलना

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29 OCT 2019 AT 23:18

मेरा तो कभी था ये फलसफा ही नहीं
दौड़ा भी मगर मुझको वो मिला ही नहीं
लोगों को सुनाते रहे तजुर्बा रात दिन
जब खुद पे आई बात फैसला ही नहीं

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