रात दरख़्त के साये में दिन सूरज के पास कुछ लम्हें खुशी के कुछ पल थोड़ा उदास मैं ढूंढता हूं एक शख्स तेरे जैसा, जिसमें उम्मीद बहुत है है बेहतर कल कि जिसे तलाश होने से लगता है जिसके घर अब दूर नहीं है ज़्यादा सुकून यहीं पर है आसमान में नहीं ज़मी पर है ढूंढ़ लो इसे और जियो बिंदास
बहता हुआ सा पानी, पत्थर नहीं हूं मैं खोजो तो दिल में अंदर, बाहर नहीं हूं मैं उम्मीद तुमने रक्खी है उतना कहाँ से दूँ एक मामूली सा कतरा, सागर नहीं हूं मैं
दुनिया ने रफ्तार है पकड़ी सबकुछ पल-पल बदल रहा है हर लब पर अनबोली बातें हर सिर पर कोई टहल रहा है मधुमक्खी के घर खाली हैं शहद है सारी शीशी के अंदर कछुए खरगोश कि रेस नहीं अब जीत रहे हैं बिल्ली-बंदर दुनिया हँसती है पल-पल और तुमको आ जाते हैं आंसू सबकुछ है श्मशान सरीखा लेकिन थोड़े जिंदा हो तुम कोई भी तो बात नहीं जो थोड़े से संजीदा हो तुम