जब जब आप उड़ना चाहोगे, लोग आपके पंख काटने के लिए खड़े होंगे।
डॉ. सोहन वीर सिंह-
जब हथौड़े की एक मार से ताला नही टूटता है , तो आपके एक बार समझाने से कोई कैसे समझ सकता है । ताला तोड़ने के लिए बार बार हथौड़ा मरना पड़ता है , इसलिए लोगो को अपने साथ जोड़ने के लिए बार बार समझाना पड़ता है ।
डॉ. सोहन वीर सिंह-
अगर आप जीतना चाहते है , तो पहले सीखना बहुत जरूरी है। जिसको सीखना आ गया समझो जीतना आ गया।
डॉ. सोहन वीर सिंह-
उसकी गली में रोज जाने को मन करता है ।
उसके चेहरे को देख आने को मन करता है ।
रोक नही पाता हूं मैं अब अपने दिल को
मरना चाहता था , पर अब जी जाने को दिल करता है ।
डॉ. सोहन वीर सिंह-
"मैने तूफानों से लड़कर दरिया पार करना सीख लिया है।"
डॉ. सोहनवीर सिंह-
"अब आसमान छूने का इरादा है , ऊंचाई से क्या घबराना"
डॉ. सोहनवीर सिंह-
मेरी आँखों में कई दिनों से नमी सी है ,
अब लगता है जिंदगी में कुछ कमी सी है .
हम तो जीने लगे थे यादों में यादों को लिए .
हमारी ये हंसी, अब ना हंसी सी है .
डॉ. सोहनवीर सिंह .-
वो चाँद की चांदनी की शीतलता है ,
वो रूप में रूपसी की कोमलता है ,
जिसे बार बार देखने को मनवा करें,
वो प्रेम रस से भरी प्रेमलता है ..
डॉ. सोहनवीर सिंह-
सपने हैं तो मंजिले हैं ,
मंजिलें है तो रास्तें है ,
रास्तें है तो मुश्किलें है,
मुश्किलें है तो इरादे है ,
इरादें हैं तो जंग है ,
जंग है तो जीत है
जीतता वही है जो फाइटर है ,
और हम सब फाइटर है ..
डॉ. सोहनवीर सिंह-
तूने कितना दर्द सहा होगा , तेरा कितना रक्त बहा होगा .
प्रकृति भी रोई होगी , धरती माँ भी ना सोई होगी ,
हैवानियत का मंजर देख, गगन से कितने तारे टूटे होंगे ,
रूहे कांप गई होगी ,जब तेरी रूह भी रोई होगी
डॉ. सोहनवीर सिंह-