प्यार क्या है...
जब कोई खूबसूरत जगह कम खूबसूरत लगने लगे
किसी की कमी का ऐहसास वहाँ के हर रंग को फीका कर दे ।
जब खाने की मेज़ पर कोई पकवान देख अनायास हीं मुस्कुराने लगते हो
किसी रिश्ते का ज़ायका उस पकवान से जुड़ा हो ।
जब भीड़ में भी अकेलापन लगने लगे
किसी ऐक का ना होना वहां हर एक कि मौजूदगी को सन्नाटा कर दे ।
जब बारिश की मधुर बुंदे भी पत्थर समान लगते
किसी का ख्याल तुम्हारी आँखों को बार बार नम कर दे ।
जब वक्त से ठहर जाने कि गुज़ारिश करने लगते हो
किसी के साथ वक्त के गुज़र जाने में वक्त नहीं लगे ।
जब खुद से ज़्यादा किसी पर एतबार हो
सही और गलत के फर्क को समझना बेकार लगे ।
जब एक ज़िद और पागलपन सवार हो
किसी की खुशी तुम्हारे हर खुशी का आधार लगे ।
कभी कभी हम प्यार में होते हुए भी समझ नहीं पाते
शायद समझना भी नहीं चाहते ।
शायद डरते हैं कुछ खोने से,
जो है अभी ,उसके भी न होने से....
स्मिता
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