फटी जेबें नहीं बताती
किसी का रहन-सहन
ना ही उसका ख़ान-पान
ना ही ये बताती हैं
माली हालात
फटी जेबें ये भी नहीं बताती
की किसके ऊपर है
किसका कितना उधार
ना ही बता पाती हैं
ये सही से किसी के घर का आकार
तो फिर क्या बताती हैं
फटी जेबें
एक चीज़ है जो ये
बिल्कुल सटीक बताती है
वो है किसी की मजबूरी
हाँ!कौन कितना है
यहाँ पर हालातों से
मजबूर !
©️®️dr.sanjay yadav-
यूँ तो मैं बहुत बार
गिरा हूँ और उतनी ही बार
उठ खड़ा भी हुआ हूँ ,लेकिन
मेरे इस गिरने या उठ खड़े होने से
किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा ,सो
अब मैं एक आख़िरी बार गिरना चाहता हूँ ,
एक बीज़ की तरह ,क्यूँकि
जब बीज गिरता है तो फ़र्क़ पड़ता है
संपूर्ण जीव जाति को,सम्पूर्ण सृष्टि को
क्यूँकि एक बीज़ का गिरना सामान्य नहीं होता
उसमें छुपी होती है सृजनत्मकता
उसके उठने पर ख़ाली बीज़ ही नहीं उठता
उठती है सभ्यता
बढ़ती है धरती पर थोड़ी सी सजीवता
स्फुरित होता है जीवन
©️dr.sanjay yadav
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पहली बार मछेरे ने
जाल नहीं ,दाना फेंका
बहुत सी मछलियाँ सतह पर आई
ये देख कर मछेरा मुस्कुराया
दूसरी बार मछेरे ने
जाल फेंका ,दाना नहीं
और दाने की आस में
फँस गई ढेर सारी मछलियाँ
ये देख कर मछेरा थोड़ा ज़्यादा मुस्कुराया
तीसरी बार मछेरे ने
ना जाल फेंका,ना दाना
मछेरे ने सूखा दिया पोखर
अबकी बार कोई मछली सतह पर नहीं आई
बल्कि हमेशा के लिए
हो गई क़ैद मछेरे के सब्जबाग में
ये देख कर मछेरा मुस्कराया नहीं
वह सिर्फ़ हँसा हल्की सी हँसी
लेकिन ये थी क्रूर
सबसे क्रूर ।
©️®️dr.sanjay yadav
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रोज़ जगता हूँ ,रोज़ ही सोता हूँ
रोज़ सुबह होती है ,रोज़ ही रात होती है
रोज़ एक सी रहती है मेरी दिनचर्या
जब रोज़ ही एक सी होगी दिनचर्या
तो स्वाभाविक है ज़िंदगी का भी एक सा रहना
ना मुझ में कोई बदलाव होगा
ना ही मेरे जीने के स्तर में
और जब मेरे एक के जीवन में बदलाव
निर्भर है मेरी ख़ुद की रोजमर्रा की आदतों पर
जो रोज़ रहती हैं एक सी
तो फिर मैं कैसे सोच सकता हूँ की
बदलेगा समाज,बदलेगा देश
उनसे जिनकी ख़ुद की दिनचर्या
रोज़ है एक सी
©️®️dr.sanjay yadav-
दुःख क्या है ?
अनचाही माँगों का पूरा होना !
सुख क्या है ?
वक़्त के गुज़रने का पता ना चलना !
वक़्त क्या है ?
सुख और दुःख के घटनाचक्र का दोहराव !
और फिर ईश्वर ??
दुःख में याद और सुख में भूल जाने योग्य व्यक्ति ।।
©️®️dr.sanjay yadav-
वक्त क्या है ?
मुट्ठी से फिसलती मिट्टी
जिस्म क्या है ?
साँचें में ढली मिट्टी
और जीवन ?
मिट्टी का मिट्टी में मिलने तक का फ़ासला
©️®️dr.sanjay yadav
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राही हूँ एक सफ़र का ,
तो हिस्सा हूँ किसी क़ाफ़िले का ,
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र ना आयी
सफ़र तय कर आया मीलों का ।।
दुनिया की भीड़ में शामिल हूँ
अलग से मेरी कोई पहचान नहीं ,
ख़ुद से बेख़बर दौड़ रहा हूँ
वो दौड़ जिसका कोई अवसान नहीं ,
अदृश्य सा भय बैठा है मन में,
सो भेड़ चाल चले जा रहा हूँ
सही और ग़लत का कोई भान नहीं ,
असफलता से डरता हूँ इसलिए
हिस्सा हूँ बूज़दिलों का,
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र ना आयी
सफ़र तय कर आया मीलों का ।।
शामिल होने को इस अनजाने मेले में
ख़ुद से ही फ़ासले हो गये हैं
भागती दुनिया की इस आपाधापी में
बरस ख़ुद से ही मिले हो गये है ,
एक ख़्वाब जो हक़ीक़त में था ही नहीं
उसके पीछे भाग रहा हूँ ,
मंज़िल जो मृगमरिचिका है चाह में
उसकी अपनो से ही गिले हो गये है ,
सुनी ना दिल की आवाज़ कभी
सो हिस्सा हूँ झमेलों का
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र ना आयी
सफ़र तय कर आया मिलों का
©️®️dr.sanjay yadav
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फलाने की गिरफ़्तारी हुई
फलाने का लोकतंत्र ख़तरे में आ गया
फिर अगले दिन ढिकाने की गिरफ़्तारी हुई
ढिकाने का लोकतंत्र ख़तरे में आ गया
और ऐसी गिरफ़्तारियाँ होती रही
लोकतंत्र ख़तरे में आता रहा
अंत में तंत्र ने जंतर मंतर पर
धरना दिया
संसद में हंगामा किया
और बच गया
इसका नतीजा ये हुआ कि धीरे धीरे
इस देश का लोक-तंत्र ख़तरे में आ गया
©️®️dr.sanjay yadav
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फलाने की गिरफ़्तारी हुई
फलाने का लोकतंत्र ख़तरे में आ गया
फिर अगले दिन ढिकाने की गिरफ़्तारी हुई
ढिकाने का लोकतंत्र ख़तरे में आ गया
और ऐसी गिरफ़्तारियाँ होती रही
लोकतंत्र ख़तरे में आता रहा
अंत में तंत्र ने जंतर मंतर पर
धरना दिया और बच गया
इसका नतीजा ये हुआ कि धीरे धीरे
इस देश का लोक-तंत्र ख़तरे में आ गया
©️®️dr.sanjay yadav
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सहसा देखता हूँ की
अचानक से बड़ा घर आ गया है
बड़ी सी गाड़ी है
बड़ा बैंक बैलेंस है
फिर अगले पल होता हूँ
किसी समारोह में
जहाँ सारे लोग सिर्फ़
मुझे ही देख रहे हैं
मेरे महँगे सूट ,महँगी घड़ी
महँगा फ़ोन ,महँगा चश्मा
को देख रहे हैं
फिर अचानक से आँख खुल जाती है
सपना टूट जाता है
मन बहुत खिन्न हो जाता है
फिर बहुत कोशिश करके
सोचने बैठता हूँ
सपने का अर्थ
और पाता हूँ की
ये सपना मेरी चाह या ज़रूरत नहीं
मेरी ईर्ष्या ,मेरी हीन भावना
मेरी कमज़ोरी है
जिसे मैं छुपा लेना चाहता हूँ
शानों शौक़त के
आभासी आवरण में
©️®️dr.sanjay yadav
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