Dr.Sachin Malik   (Sachin Malik “विद्यार्थी”)
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Joined 3 September 2017


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17 MAR AT 1:41

सूरज की तपिश, मानो तेरे गालों की लाली…
गालों को चूमे, कानों की बाली…
गुड़ से भी मीठा लहजा तेरा,
झील से गहरी ये आंखें तेरी..
और चाल जैसे हिरनी मतवाली
जिस पर दुपट्टा सुखाया था तूने
शहद हो गई, वो नीम की डाली..

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3 MAR AT 23:39

मेरे हालात नाकाबिल-ए-तब्दील हैं
तुझपे नहीं है मेरे रम्ज की दवाई
अपने पास ही रखो
अपनी नूरानी आँखें, शर्बती बोल और ये हुस्न इलाही...

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15 FEB AT 22:02

ये घटती उम्र, ये सरकती जवानी
उलझे मसले,बेकाबू ज़ज्बात,कुछ पुरानी चूडिय़ां इश्क की आखिरी निशानी,
बस हर रोज इस कदर जीते हैं "मलिक",
जैसे कल खत्म अपनी कहानी..

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3 JAN AT 22:51

मुझसे ये झूठे ताम-झाम नहीं देखे जाते..
जर्जर होके गिरते हुस्न के ग़ुलाम नहीं देखे जाते..
जी भर के जीयो ये मरघट तक का सफ़र..
इस सफ़र में शौक़ की क़ीमत और ज़िद के अंजाम नहीं देखे जाते..

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26 DEC 2024 AT 21:03

चल बनाएँ नशेमन दूर कहीं आबादी से…
दम घुटने लगा है मेरा अब आज़ादी से,
मेरी हरकतें मुझे तबाह कर देंगी जाना
थाम मेरा हाथ और बचा ले मुझे बर्बादी से…

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10 DEC 2024 AT 15:01

कभी तो ऐसा हो, जो मैं सोचूँ वही बात हो जाए..
कल की तरह आज भी बरसात हो जाए..
जानलेवा है ये देवभूमि की सर्दी
जान बच सकती है जो मेरे हाथों में फ़क़त तेरा हाथ हो जाए..
ज़्यादा ऊँचे नहीं हैं मेरे ग़ुरबत भरे ख़्वाब..
बस तुम, मैं, चाय और थोड़ी सी बात हो जाए..

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6 DEC 2024 AT 19:54

I can fly Living in the sky
Puff puff pass day n night
I don’t afraid of any fate
Coz I’m damn high, om namah shivaiii

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1 DEC 2024 AT 11:40

फ़िक्र ना कर ये ज़ख़्म भर जाएँगे,
तुझपे मरने वाले भी एक दिन मर जाएँगे…
एक जनाज़े में शामिल हुआ तो अहसास हुआ,
ज़िंदगी के सब बोझ एक दिन उतर जाएँगे..
दिलों को आज़ाद करो इश्क़ के जंजाल से,
ये नाज़ुक परिंदे पिंजरे में घुट के मर जाएँगे…
मेरे साथ बिताया हर लम्हा ताउम्र याद रहेगा..
जाना हम वो शख़्स नहीं जो ज़हन से उतर जाएँगे..

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29 NOV 2024 AT 23:09

इश्क़ की मनमानियाँ, मेरी जी हुज़ूरियाँ..
तेरा होकर तुझे छू ना सकूँ, मौत बराबर हैं ये मजबूरियाँ
मेरी बात समझो जाना,एक दिन मेरी जान ले लेंगी
ये तेरी ग़ैरों से नजदीकियाँ, ये मेरी अपनों से दूरियाँ…

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6 NOV 2024 AT 1:21

घर से निकले तो पलट के नहीं देखा, सब कुछ पीछे छोड़ दिया लड़कों ने..
इश्क़ गाँव की कच्ची पगडंडी का छीन लिया, बेग़ैरत शहर की पक्की सड़कों ने..

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