जब भी कहानी सुनाई जाएगी
अपनी ग़द्दारी नही बताई जाएगी ,
जगत के सारे सच दरकिनार करके
अपनी सारी झूठी बातें सच ठहराई जाएगी ।
बार बार झूठ को सच करार दिया जाएगा
कई बार फ़र्ज़ी हमलों की दलील दी जाएगी ,
बचना मुश्किल था मेरा अगर यूँ ना होता
बस ऐसी झूठी अफ़वाफ़ फैलायी जाएगी ।
तोलेंगे ख़ुद को सोने से
अपनी आदतें सबसे अच्छी बताई जाएगी,
ख़ुद से रखेंगे ख़ुद को तराज़ू पर
ख़ुद की झूठी क़सम खायी जाएगी ।
जब भी कहानी सुनाई जाएगी
अपनी ग़द्दारी नही बताई जाएगी....
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मुक्क़दस रिश्ते की तुम ऐसी सुकून हो,
सर्दी के मौसम में जैसे जून हो ।-
पकड़ा है सब्र का हाथ मैंने मुझे दूर तक जाना है ,
मंज़िल की परवाह नहीं मुझे दिल सफ़र का दीवाना है ।-
कल निकला जो चाँद तो देखने हम भी आएंगे,
ग़र मिली निगाहें उनसे तो ईद हम भी मनाएंगे।-
हमेशा देर कर देता हूँ मैं कुछ बात बताने में ,
कभी कुछ जताने में तो कभी कुछ छुपाने में ।
कभी तो सोचता हूँ तुम्हारे साथ बैठ कर
तुमसे ही करें तुम्हारी बातें ,
और कभी वक्त निकल जाता है
खुद से खुद को समझने में ।
हमेशा देर कर देता हूँ मैं कुछ बात बताने में ,
कभी तुमसे रूठने में तो कभी तुम्हें मनाने में ।
कभी कुछ ज़रूरी बात करनी हो ,
कभी तुमसे मुलाक़ात करनी हो ,
निभाना हो कोई वादा ,
मैं भूल जाता हूँ खुद को सुलझाने में ।
हमेशा देर कर देता हूँ मैं कुछ बात बताने में ,
कभी वादा करने में तो कभी उन्हें निभाने में ।
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तरकीब कोई ऐसा भी सुझाया जाए ,
इंसान को इंसान बनना सिखाया जाए ,
फैल रही है जिस रफ़्तार से नफ़रत ,
इसका भी कोई टिका लगाया जाए ।-
हमने मंज़िल बदली है हमने रास्ते बदले हैं,
बदल देंगे उन्हें भी जिनके वास्ते बदले हैं ।
बदलना ही फ़ितरत है इंसान की,
गलती उनकी है जो नहीं बदले हैं ।-
इश्क करने वाले आज अपने इश्क का हिसाब देंगे,
तोड़ कर किसी डाली से अपने महबूब को गुलाब देंगे।-
कब रही है ज़िंदगी अपने इख़्तियार मे,
कभी वादों तो कभी यादों मे उलझे रहे।-
जो सबके नज़र मे अच्छे हैं,
वो दिल से कहां सच्चे हैं।
जिनकी मौजूदगी कोई ज़हमत ना दे!
ऐसे मेहरबाँ कहां बचें हैं?-