ये तेरे हुस्न-ओ-इश्क का नशा ही जो सिर से उतरने का नाम नहीं लेता,
तुम किसी महंगी शराब की तरह हो जिसका नशा घूट घूट करके चढ़ता ही जा रहा है।-
*"वसुधैव कुटुंबकम्"*
प्रकटदिवस 20 फरवरी
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्व... read more
दिन भर की मेहनत के बाद भी,
सुकून की निशा नहीं आती है,
सुने पेट भी क्यो भूख नहीं लग पाती है,
गर्मी में भी ना जाने कहाँ से ये बारिश चली आती है,
कुछ बाते अगर ना भी समझ में आए तब भी मन को समझानी पढती है।
ये जिन्दगी है इसे हँस के बितानी पढती है।-
हर लम्हा कुछ यूँ महसूस होता है,
जैसे तू मेरे साथ हर पल होता है।
आज भी तेरी यादें कुछ यूँ लिपटी रहती है मुझसे,
जैसे रूह से जिस्म जुड़ा होता है।-
यादों के संदूक से मिले दौलत पुरानी,और क्या चाहिए।
बेतरतीब ज़िन्दगी में चेहरा वही दिखे नूरानी,और क्या चाहिए।
यूँ नवाज़ा है हसीन दोस्तों से मालिक ने हमेशा,
एक अदद दुश्मन मिले खानदानी,और क्या चाहिए।
गुमशुदा मंज़िले,रास्तों का ठिकाना कौन पूछे,
गर मिले एक इशारा आसमानी,और क्या चाहिए।
अंदाज़ मुख्तलिफ हो जीने का,सलीके अलहदा,
ज़िंदादिली हो कुछ,कुछ मौजों सी रवानी,और क्या चाहिए।
आलम-ए-महफ़िल दिलकश,मेले हुस्न के लगे है,
नज़र तिरछी कातिल,इधर काश गिरे दीवानी,और क्या चाहिए।-
ज़िंदगी में न कुछ बाते,
कभी भी कोई नहीं बता सकता,
कुछ बाते वक़्त आने पर समझ आती है,
तो कुछ बाते वक़्त समझा देता है।
in life some things,
no one can ever tell,
Some things are understood when the time comes,
and some things are explained by time.-
पहुँचु कैसे अपनी मंजिल को, सबके मन की जो मानी है।
रह गया जो ख्वाब अधूरा, उसकी चाह पुरानी है।
बैठा हूँ जो मौत किनारे, जीवन या मृत्यु पानी है।
उजियारे की दौड़ में, मन में एक अंधियारी है।
कुछ में भुला बिसरा सा, अभी भी कुछ याद रवानी है।
जो में न पहुँचा घर को, सबके होश उड़ जानी है।
मिया उड़ गया जो बेखोफ परिंदा, कहीं तो थकान मिटानी है।
बंधा हुआ हूँ जंजीरो से, मेरी भी एक कहानी है।
आया हूं जब धरती पर अपने करम निभानी है।
पाला है जिन भगवंत ने, स्वाभाविक उनको आशा आनी है।
गुण दिया जो किस्मत ने, वह सबको कहाँ समझानी है।
सब वक्त का खेल है प्यारे, समझे जो फिर किस्मत ही बदल जानी है।
तराशा हमने खुद को ही, फुर्सत किसके हिस्से आनी है।
जब चाहा आगे बढ़ाना तो, बेमतलब की बात बतानी है।
यूं फिजुल जो वक्त गुजरा, पढ़ना लिखना ही नवाबी है।
जो वक्त पर ना बदले, ये खेल कुद मन की हर बात खराबी है।
बैठे हैं जो अपने ओदो पर, वही अपनी पहचान बनानी है।
माना मेरी राह अलग है, पर मेरी आत्मा आज्ञाकारी है।
किस पथ पर मैं निकलुं राही, असमंजस दिल में भारी है।
खुश रहेंगे जिसमें सब, या हो अलग, टूटी शाख रह जानी है।
सन्मुख बैठा मैं खुद के, कह रहा अपनी जुबानी है।
तू बस चल वक्त बदलेगा सब मिलेगा तुझे भी, जिस पथ का तू अधिकारी है।
विपरित बह तू सब खो देगा, अपनी राह फिर बनानी है।
बन कुछ तप कर तू, फिर मिट्टी तेरी दास्तान सुनानी हैं।-
अच्छा सुन।
जो तुझे फ्रेंडशीप डे विश नहीं किया तो नाराज तो नहीं होगा,
जो तेरे साथ वाला फोटो स्टेटस पर ना रखा तो दोस्ती तो नहीं तोड़ देगा।
सुन ना।
तेरी शादी मे नागीन वाला डाँस सिर्फ मेरा ही होगा,
तेरी गाडी पर चौथे नम्बर पर मैं नहीं बेठूंगा।
सुन तो।
बाबू- सोना के धोखे में तेरा काँधा मैं रहुंगा।
तेरे जीवन के हर सुख दुःख में बराबर का हिस्सा मेरा भी होगा।
घर से दुर साथ रहने वाले यारो सुनो।
दर्द देकर मरहम भी मैं ही दुंगा।
तबीयत अगर जो बिगडी नर्स भी मैं बनूंगा।
तेरे लिए मैं सड़को पर बेमतलब ही दौडूंगा।
तुझे सता कर तुझ पर भी मैं ही हँसूंगा।
शायद कोई नया दोस्त तो बना नहीं 10-12 सालो में, जो हो तुम हो।
दूर रहकर भी तेरी दोस्ती का एहसास जिन्दा रखूंगा।
अपनी बचकानी हरकतो को याद कर में मुस्कुरा दूँगा।
फिर से सुन ना।
जब भी तेरी याद आएगी तुझे काॅल करूंगा।
तेरे लिए जान भी हजीर करूंगा।
तेरी क्या तेरे बच्चो की शादी में भी काम करूंगा।
20-25 सालो बाद भी जब अपना किस्सा बच्चो के सामने होगा।
इतना तो यकीन हैं, खुशीयो के साथ भविष्य में भी अपना याराना अमर होगा।
अच्छा सुन ना, नाराज तो नहीं होगा ना।-
मोहब्बत के फलसफे, कहाँनियों में ही अच्छे होते हैं।
यह इश्क़ हे साहब,
इस के किस्से,
हर किसी के हिस्से में नहीं होते हैं।
कुछ के नसीब में सिर्फ अश्क ही होते हैं।-
हैं वजुद उसका तेरे होने से पहले,
और होगा तेरे बाद भी।
तू क्या समझता है खुद को,
वो होगी आबाद भी।
तेरा कर्म ही मारेगा तुझको,
यहा किरायेदार है तू भी।
जो दिया है तुमने इस पृथ्वी को,
सुत समेत लौटा देगा मिट्टी का शोर भी।-