Rest In Peace
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ना जाने वो सुकून की रात कहाँ खो गयी है...
ग़र ठान लिया... तो रुकूंँगा नहीं
फ़िर मौत भी हो सामने... झूकूँगा नहीं
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ख़ामोश ही रहती हैं आज़कल... उसकी आँखें,
ना जाने कितनी रातों से सोयी नहीं होंगी,
माना मेरा देखना उनको... आदत हो मेरी,
मग़र ख़ामोशियों का रुख़सत होना...
उनमें अब भी बाकी है।
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तेरा मुस्कुराना...
और फ़िर चले जाना,
क़यामत है... या है कोई फ़साना।
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ग़र उठा कर लिख दूँ ए-जिन्दगी... यूँ कुछ भी,
फ़िर भी फलसफा ज़माने का, कुछ ना बदलेगा ... - 2
ज़माना तो आज़ भी तेरा ही दीवाना है,
मिट जाए.. तो भी तेरा तराना न बदलेगा,
हक़ीक़त है, या है कोई फ़साना
मुहब्बत में बदल जाए कोई-2
सलीक़ा फ़िर भी, मुहब्बत का...
ना बदला है... ना बदलेगा।-
Hai sab kuch pass mere, magar na jane kiski "Aas " hai.
Hai aaj bhi jinda mere jehan me... Yaad uski,
Fir na jane... Kiske milan ki "Pyaas " hai.-
Never Judge Anyone by its Words... May be Harsh words show his emotions.
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ख्वाहिशों का क्या है... होने, न होने का
मग़र जिन्दगी... "चलने का नाम" है-2
मिलना और बिछड़ना क़िस्मत का काम है...
मग़र मौसम बदलने का नाम है!!!-