Dr. R. K. 84IA   (रक्तranjit)
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आख़िरी याद बनके तू मेरी मुहब्बत की रह गयी है
ना जाने वो सुकून की रात कहाँ खो गयी है...
Joined 14 August 2019


आख़िरी याद बनके तू मेरी मुहब्बत की रह गयी है
ना जाने वो सुकून की रात कहाँ खो गयी है...
Joined 14 August 2019
1 OCT 2023 AT 12:59

Rest In Peace

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10 JUL 2023 AT 1:18

ग़र ठान लिया... तो रुकूंँगा नहीं
फ़िर मौत भी हो सामने... झूकूँगा नहीं

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4 JUL 2023 AT 23:05

ख़ामोश ही रहती हैं आज़कल... उसकी आँखें,
ना जाने कितनी रातों से सोयी नहीं होंगी,

माना मेरा देखना उनको... आदत हो मेरी,
मग़र ख़ामोशियों का रुख़सत होना...
उनमें अब भी बाकी है।

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4 JUL 2023 AT 22:57

तेरा मुस्कुराना...
और फ़िर चले जाना,

क़यामत है... या है कोई फ़साना।

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7 APR 2023 AT 23:49

ग़र उठा कर लिख दूँ ए-जिन्दगी... यूँ कुछ भी,
फ़िर भी फलसफा ज़माने का, कुछ ना बदलेगा ... - 2

ज़माना तो आज़ भी तेरा ही दीवाना है,
मिट जाए.. तो भी तेरा तराना न बदलेगा,
हक़ीक़त है, या है कोई फ़साना
मुहब्बत में बदल जाए कोई-2
सलीक़ा फ़िर भी, मुहब्बत का...
ना बदला है... ना बदलेगा।

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7 APR 2023 AT 23:37

Hai sab kuch pass mere, magar na jane kiski "Aas " hai.
Hai aaj bhi jinda mere jehan me... Yaad uski,
Fir na jane... Kiske milan ki "Pyaas " hai.

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7 APR 2023 AT 23:31

Never Judge Anyone by its Words... May be Harsh words show his emotions.

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29 JAN 2023 AT 6:38

ख्वाहिशों का क्या है... होने, न होने का

मग़र जिन्दगी... "चलने का नाम" है-2

मिलना और बिछड़ना क़िस्मत का काम है...
मग़र मौसम बदलने का नाम है!!!

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29 JAN 2023 AT 6:30

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29 JAN 2023 AT 6:22

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