इतवार की खबर नाराज होने लगी है
लगता है ये बरसात पुरानी होने लगी है-
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एक वक़्त सोचा है ,, एक वक़्त सोचने को
हर वक़्त सोचा है ,, उस वक़्त सोचने को
यूं थामा दर्द है ,, इस वक़्त सोचने को
हर वक़्त दर्द है ,, बे वक़्त सोचने को
आस जो लगाई है ,, हर वक़्त सोचने की
अब मोड़ आ गया ,, बेख़ौफ सोचने को
एक वक़्त सोचा है ,, एक वक़्त सोचने को
हर वक़्त सोचा है ,, उस वक़्त सोचने को-
उसकी नज़रों का इंतज़ार रोज यूं होता है
मेरा हर एक लम्हा कई मुद्दत में पार होता है
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गुमनाम होने से पहले ढूंढ़ लेना ज़रूर
बेखबर होने के पहले खबर लेना ज़रूर
मुश्किल मोहब्बत का इज़हर है बेशक
पर मेरी जन्नत का मुकद्दर बनना ज़रूर
वो रोज़ हुई मुलाक़ात याद होगी तुम्हे
बस उस मुस्कुराहट की वजह बनना ज़रूर
मेरे कदम जब वजूद में ना रहे तुम्हारे
मेरी मौजूदगी का सबब बनना ज़रूर
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मोहलत आज भी मिलेगी
बेशक इसे याद रखा है मैंने
अपने खोए अक्स में उसके
वजूद को साथ रखा है मैंने-
इज़हार करना गलत नहीं
गर मेहबूब इस काबिल हो
चांद के दामन में गिरना गलत नहीं
गर चांदनी रात में तेरा साथ हो
मेरा रास्ते पर रुकना गलत नहीं
गर उस वक़्त में मुकद्दर तेरे हाथ हो
इज़हार करना गलत नहीं
गर मेहबूब इस काबिल हो
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जंग की बातों में खैरियत कौन पूछेगा
अगर इश्क़ करो तो ख्याल ये रखना
तुम चाहोगे ये राज़ ही रहे हमेशा
यूं पर्दा आशिक़ी पर भला कौन करेगा
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ये वक़्त बे वक़्त की मोहलत नहीं मांगी
तुम बस सुकून दे दो एक उम्र भर का-
ये कागज़ों की बातें है जनाब
आप शायद ना समझ पाएं
एक हिस्सा मेरा बर्बाद हुआ है
कुछ कर्ज़ा मेरा माफ़ हुआ है
मै उन उसूलों का पुतला रहा हूं
उन कागज़ों में उलझा क़िस्सा रहा हूं
ज़िन्दगी का दर्द ही मालूम चला बस
किसी भीड़ से हटकर अकेला रहा हूं
ये कागज़ों की बातें है जनाब
आप शायद ना समझ पाएं
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उसकी रज़ा और रजामंदी में भी हसीन इत्तेफ़ाक़ है
आशिक़ भी खूब है और अश्कों के ठेकेदार भी
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