काश !दिल के राज़ दिल में ही दफ़न रहते
आज नहीं तो कल तुम्हें हम अपना कहते
जुबां चुप रहती अगर दिल पत्थर का होता
बेवजह बर्बाद होकर यूं जुदाई का ग़म न सहते
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राम मेरे घनश्याम तुम्हारे
अल्लाह मेरे वाहेगुरु तुम्हारे
आओ मिटायें खोखले रिवाज़
सर्व धर्म की बस एक आवाज़
सब्र सिदक का चोला पहने
हर जन को अपना हम माने
मेर-तेर की गाँठ को जोड़ें
जात-पात दीवार को तोड़ें
पीर पैगम्बर वली अवतार
जग में बांटे प्रीत प्यार
लहू का रंग भी सबका एक
काहे "पूर्णिमा" खोये विवेक
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सब कुछ दाता तेरा है।
कुछ न पास में मेरा है।।
काहे मन घबराये तू,
प्रभु का दिल में डेरा है।।
शीश झुका ले चरणों पे,
होता तभी सवेरा है।।
पायेंगे फिर स्वर्ग यहीं,
मन का मनका फेरा है।।
मन भक्ति में लीन हुआ,
बना ईश का चेरा है।।
मानव की नहीं हस्ती कोई,
फैला भगवन नेरा है।।
कण-कण में रब देख "पूर्णिमा"
मन का मिटे अँधेरा है।।
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जलियांवाला बाग़ की,कथा मरणोपरांत
निर्मम हत्याकांड से,'पूर्णिमा' थी अशांत-
कहानी पूरी हुई
तो दर्द ही रह जाएगा
पास फिर
तुमसे मिलने की
नहीं रहेगी बाकी
कोई आस फिर-
तेरा दूंगी साथ मैं,
साथी रख विश्वास
भोर सुहानी सांझ हो,
पा लें नवल उजास
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1*
चित का चोर
करे कुँज विहार
चोला बासंती!!
2*
खिला यौवन
उन्माद युक्त वायु
बसंत ऋतु!!
3*
गया बसंत
इन्तजार के चिह्न
दिखे पत्तों पर!!
4*
पीताभ तन
बसंत उपवन
हाथों में हाथ!!
5*
बासंती छटा
है प्रिय बिन सूनी
सुदूर कंत!!— % &-
ज्यों चंदन है भाल पे, त्यों हिन्दी पहचान।
आओ भारतवासियो, हिन्दी को दें मान।।
हिन्दी-हिन्दी सब कहें, हिन्दी से हो प्यार।
मान देश का तब बढ़े, हो हिन्दी सत्कार।।
उगता सूरज हिंद का ,देता है संदेश।
हिन्दी भारत देश का ,बदल रही परिवेश ।।
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नववर्ष2022मंगलमय हो
उजली-उजली धूप का, उजला सा शृंगार
नव वर्ष की प्रथम सुबह, बांटे हर्ष अपार
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