Dr.padam Singh   (-Mere Alfaaz ✒️)
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मेरी डायरी के पन्नों से खुशबू निकलती है।
मैं कहाँ लेखक हूँ स्वतः ही क़लम चलती है।
Joined 30 March 2020


मेरी डायरी के पन्नों से खुशबू निकलती है।
मैं कहाँ लेखक हूँ स्वतः ही क़लम चलती है।
Joined 30 March 2020
24 DEC 2022 AT 23:38

कहां तक, कब तक और किस लिए
कोई चलेगा तेरे साथ,तेरी लाठी बनकर

तेरे प्रयासों से ही मिलेगी तुझे सफलता
कर आसान मंजिल, निज राह चुनकर।

तूं कर कुछ इस तरह, खुद को मजबूत
खड़ा है ज्यों हिमालय बिशाल तनकर।

कौन कहता है कि नहीं मिलती मंजिल
सपनों की राह पर, तूं देख तो चलकर।

श्रम से न जी चुरा तूं इससे यारी करले
तूं और निखरेगा श्रम की आग में जलकर।

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17 AUG 2022 AT 12:46

होठों पे हंसी, आंखों में नमी, कुछ ऐसा मंजर रहता है
हंसी में अब वो बात कहाँ, चुभता सा खंजर रहता है।
दुनियां की भीड़ में तनहा हूं, महफ़िल में अंधेरे रहते हैं
मेरे अंदर तेरी यादों का, बेकल सैलाव समंदर रहता है।

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1 AUG 2022 AT 0:25

हमने समझा तेरी अनकही बात को
तुमने समझा नहीं मेरे जज्बात को।

हम तो पकड़े हुए थे, बड़े प्यार से
आप ही चल दिये छोड़कर हाथ को

दिन में भी खुद से तेरा ही चर्चा रहे
ख़्वाब में तूँ रहे, मेरे हर रात को।

अब तूँ ही बता, कुछ इसे नाम दे
क्या कहूँ मैं तेरे इस हसीं साथ को।

कोशिशें बेअसर, हैं सभी आजकल
कैसे रोकूँ मैं तेरे, ख़यालात को।

यूँ तो जिंदा हूँ मैं, पर जिया ही नहीं
कैसे समझाऊं मैं अपने हालात को।

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23 JUL 2022 AT 22:40

टूट गया है सब कुछ अंदर
हूँ बाहर से खूबसूरत मंजर
कब तक मैं यूं चीख को रोकूं
जिस्म में उतरा हुआ है खंज़र।

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23 JUL 2022 AT 0:09

साथ में तू नहीं, फिर भी तू साथ है।
मैं बदन हूं तूं साया, कुछ यूं साथ है
याद करता नहीं, मैं कभी भी तुझे
याद रहती है तूँ, तुझ में कुछ बात है।

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21 JUL 2022 AT 11:26

वक्त गुजरेगा और मैं भी, गुजर जाऊंगा
अमर थोड़े ना हूँ, एकदिन मर जाऊंगा।
बाद मुझको पुकारोगे कुछ नहीं पाओगे
गर जो दोगे साथ मेरा मैं सवर जाऊंगा।

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17 JUL 2022 AT 23:24

जिंदगी का पता पूछ कर आए हैं
इसलिए आज हम तेरे दर आए हैं।

भटकता रहा उम्र भर मैं सदा
मुद्दतों बाद हम आज घर आए हैं।

इल्तजा है यही आके मिल तो ज़रा
आखिरी बार तेरे शहर आए हैं।

ग़मज़दा हूँ बहुत आके तेरे शहर
अस्क आंखों में मेरी उतर आये हैं।

मोहब्बत में कभी जो मिले थे यहाँ
जख्म सारे के सारे वो भर आए हैं।

पथ्थरों पे कभी जो नाम हमने लिखे
फिर से गहरा उन्हें हम कर आए हैं।

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17 JUL 2022 AT 9:21

जिंदगी में दौर ए इम्तिहान जारी है
मैंने तेरी यादों से जिंदगी सबारी है।
सब कुछ तबाह करके न पा सका
खुशियों की कीमत बहुत भारी है।

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15 JUL 2022 AT 23:04

जिंदगी का पता पूछ कर आए हैं
इसलिए आज हम, तेरे दर आए हैं।

भटकता रहा उम्र भर मैं सदा
मुद्दतों बाद हम, आज घर आए हैं।

इल्तजा है यही आके मिल तो ज़रा
आखिरी बार तेरे, शहर आए हैं।

ग़मज़दा हूँ बहुत आके तेरे शहर
अस्क आंखों में मेरी, उतर आये हैं।

मोहब्बत में कभी जो मिले थे यहाँ
जख्म सारे के सारे, वो भर आये हैं।

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15 JUL 2022 AT 12:34

कभी मुझे याद करके तेरी आंखों में, नमीं आती तो होगी
कहे ना कहे तूँ मैं जानता हूं, मेरी कमीं सताती तो होगी।।

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