बदलाव जरूरी हैं
यक़ीनन जब आप अपने आचरण को
एक लंबे समय तक परिवर्तित नहीं करते
तो आपका ये आचरण सब को खलने लगता हैं।
बेशक आचरण में नरमी हो ये जायज़ हैं मगर,
फितरतन नरमी आपसे आपका परिचय छिन लेती हैं।-
बस तुम भी 'ओम' बन जाना।
बनकर 'ओम' तुम भी लोगों के दिलों में रहना,
रिश... read more
खरीददारी में भी
वो नरमी बरतता रहा,
जिस्म देखकर वो
पैसे लगाता रहा..!!
वो मुहब्बत की प्यासी
बैठी रही ताउम्र इंतज़ार में,
उसे क्या पता था वो हर रोज़
उसे बाजारू बताता रहा..!!-
अबके बरस जो तू मिले,
मैं सौ बरस जी जाऊं।
बनकर हाथ का कंगन मैं,
तेरे हाथों में रम जाऊं।
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नींद मेरा तूझसे ये वादा रहा,
तुझे फिजूल ना कभी मैं गंवाता रहा।
इस जंग लगी क़िस्मत को तराशने के खातिर,
तुझसे बेशकीमती सौदा मैं करता रहा।
तू ज़रूरी थी तू ज़रूरी है तू ज़रूरी रहेगी मगर,
तुझे अनदेखा कर मैं चांद संवारता रहा।
सितारों की चुगलियों पर तेरे कान भरे गए,
तू यादगार रहेगी सदा तुझसे मेरा वादा रहा।-
बादलों के ना गरजने से पेड़ जल नहीं जाते,
राह मंजिल की भटकने से मुसाफिर घर नहीं जाते।
मोहब्बत की अदालत में तू नौसिखिया है अभी 'ओम'
यार...बेवफा के छोड़ जाने से वफादार मर नहीं जाते..!!-
चंद पलों के लिए किसी के सिर का
ताज बनने से कई ज्यादा बेहतर हैं
तुम ताउम्र अपने पिता के सिर की
पगड़ी बने रहो..!!-
उजड़े आशियाने बेजुबानों के,
घर हिरणों का लुट गया।
मोर मरे चिड़ियां मरी,
राजा जंगल का मर गया।
तू छीन रहा है घर इनका,
ये हैवानियत तुम पर भारी हैं।
राजा लुटे हैं रंक लुटे हैं,
अगली बारी तुम्हारी हैं।
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मुस्कुराहटें जो देखी तो इक ख्याल आया,
ये झूठी तो नही मन में ये सवाल आया।
अक्सर देखा गया जख्मियों को मुस्कुराते हुए,
कहीं तू भी तो ज़ख्मी नहीं मुझ्को ये मलाल आया।
पिता ने तो दी थी नसीयत मक्कार बेटे को,
अफ़सोस फिर भी वो बेकसूरों को मार आया।
और तेरी मुस्कुराहट भी किस कदर सच्ची होगी 'ओम'
तू भी तो अपने अज़ीज़ खतों को जला आया..!!
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