Dr Om Saa   (ओम🍂)
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Joined 22 July 2019


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28 APR AT 17:48

वो इंसान कभी वफादार नही हो सकता,
जो अपनी खुशी के लिए दूसरों की खुशी छीन लेता है..!!

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28 APR AT 5:31

जो सूख कर कहीं दबा पड़ा होगा वक्त रूपी किताबों के पन्नों तले,
आज वफ़ा की फ़िराक में मै फिर उसे कुरेदने को राज़ी होने लगा हूं..!!

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24 APR AT 14:08

और फिर तितलियां पिंजरे में कैद कर ली गई,
फिर...कभी पौधों पर फूल नही आए ‘ओम’

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24 APR AT 14:03

और फिर ख्वाहिशें मार दी गई,
फिर...हमने ख़्वाब देखना छोड़ दिया ‘ओम’

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24 APR AT 8:03

love needs no excuse
Love flourishes even when you are very tired.
That's why you can't make any excuses for love.

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20 APR AT 10:27

ये शहर अजनबी सा लगाता है,
इससे हमनवाई बहोत पुरानी है।
तू किस फ़िराक में गुमनाम है ‘ओम’
यहां तो तिरी रुसवाई बहोत नूरानी है..!!

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20 APR AT 7:30

सुनो...
याद है इत्तेफाकन तिरा हाथ छोड़ चले जाना भी,
तिरा मछली से पानी छीन लेना भी मुझे याद है..!!

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17 APR AT 5:14

सुनो...
संग तुम्हारे जो चल पड़ूं,
ज़माना जल पड़ेगा यार..!!

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17 APR AT 5:04

इक अरसे बाद हमने देखना चाहा था तुमको,
खैर इस चाह को भी बड़ी शिद्दत से चकनाचूर किया तुमने..!!

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14 APR AT 13:50

हमने
कि असंभव को मज़ाक
कैसे बनाया जा सकता है..!!

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