आंकड़े अब डराते है ................ 289
ये आंकड़े मजबुरी के है, आगे बढ़ने की होड़ के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़ें आम आदमी के है, दूसरे को पीछे दिखाने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े उलझाने के है, फलक पर गुमराह करने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े नेताओं के है, वोटो को बढ़ाने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े मेहनत के है, संभाल कर रखने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े छात्रों के है, नौकरी में दौड़ लगाने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े मरीजों के है, बढ़ती हुई बिमारियों के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े बैंकों के है, बढ़ते हुए कर्जो के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े पुलिस के है, बढ़ते हुए अपराध के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े बजट के है, बिगड़ी हुई अर्थ व्यवस्था के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े कम्प्यूटर के है, किसी ना किसी गणना के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े खुशियों के है, किसी कोशिश से पाने के है,
आंकड़े अब डराते है।
ये आंकड़े काबू में लाने के है, किसी ना किसी रास्ते के है,
आंकड़े अब डराते है।
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