दादाजी* तुम बहुत याद आते हों, याद आता है, वो बचपन हमारा,हर याद में आप रहते हों, दादाजी तुम बहुत याद आते हों, याद आता है, हमारा प्यारा बचपन जो आपके लाड़-प्यार में गुजरा, याद आता है, हर एक त्यौहार जो हमने आपके साथ मनाया, याद आती है, हमें आपके द्वारा दी गई हर एक सिख की, याद आता हैं, वो तुम्हारा साइकिल चलाना, उस साइकिल से हमें हास्पिटल ले जाना, बाजार से कुछ खाने को लाना, खुद चल एडमिशन कराना, बैठाकर कंधे पे मेला घूमाना, याद आता है तुम्हारा स्नेह, तुम्हारा प्रेम, बहुत याद आता है, हमें बुरी नजर से बचाने के लिये आपका नज़र उतारना, हमारी नासमझी पर समझाना, परिवार के लिए सबसे लड़ जाना, याद आता है, तुम्हारा संघर्ष, तुम्हारी देने की प्रवृत्ति, तुम्हारा कविता कहानियां सूनाना, याद आता है दादाजी, कर्म, तप, संयम की अदभुत परिभाषा थे तुम हम हमेशा याद रखेंगे तुम्हारी खास मुस्कान, सबकी परवाह करने वाला दिल, आपने हमेशा चाहा मिलजुल कर प्रेम से रहे हम, आपने हमेशा हमें मां-बाप से अधिक दिया वह तुम्हारा प्रेम हो या हो आर्शिवाद। तुम्हारा जीवन एक मधूर संगीत की तरह था, जिसकी प्रेम-धून हमेशा हमारे मन-मस्तिष्क पर अंकित रहेंगी। आप हमेशा आर्शिवाद स्वरूप हमारे साथ रहेंगे। तुम्हारे दिये हुए संस्कार,अनुशासन,सिख हमेशा हमारे साथ बने रहेंगे। हम सब मिल-जुल कर रहेंगे, हमारी दादी जी का बहुत ख्याल रखेंगे।
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हाँ, हो सकता है!
तुम्हारी किताबों में धूल लगी हो, कलम की स्याही सुख चुकी हो, हां हो सकता है....
मंजिल तुमसे रूठ चुकी हो, जुनून की चिंगारी बुझ चुकी हो, हां हां; सारे ख्वाब तुम्हारे बह गए हो,
हां हो सकता हैं? तुम्हारी तलवारों में जंग लगी हो।
मेरे दोस्त, हार मत मानना यही जीवन है....*
किताबों की धूल उसमें लिखी कहानियाँ मिटा नहीं सकती, कलम में स्याही और तलवार में जंग हमेशा रह नहीं सकती।
विश्वास करो, तुम ईश्वर की बनाई गई अद्भुत कृति हो।।
It's never too late to mend.-
मातृभूमि,पितृभूमि,धर्म भू महान भरत भू महान है,महान है,महान॥ कैलाशकाश्मीर जिसके भालके मुकुटमणि, हैलोक में प्रसिद्ध जो अनूपरूप के धनी, हैनविश्व में महानस्थान जिनसमान, यहाँ विशाल जाह्नवी,सरस्वतीवगोमती,कौशिकी,कावेरी,युमना,ताप्ती,इरावती, ब्रह्म,सिन्धु,नर्मदा,गोदावरीमहान,
ये रूद्रज्योतिर्लिंग जिसकी दिव्यता के दीपहैं, अनेक शक्तिपीठ जिसकी शक्ति के प्रतीकहैं, बद्री,जगन,द्वारिका,रामेश जिसके धाम, यह तत्त्वदर्शियों, महामनीषियों की हैधरा, यहाँ निवास सन्तसिद्धयोगियों का हैसदा, जन-जन में वास कररहे भगवानरामश्याम, सन्यासियों भूपाल चक्रवर्तियों की जन्मभू, स्वधर्मध्वजफहरागये जोविश्वभर में दूरदूर सुनो अतीत गारहा विजयश्री के गान,भरत भू महानहै,महानहै,महान॥ 🇮🇳-
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
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ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा
ग़ज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते
वो सब के सब परीशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा
तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुन कर तो लगता है
कि इंसानों के जंगल में कोई हाँका हुआ होगा
कई फ़ाक़े बिता कर मर गया जो उसके बारे में
वो सब कहते हैं अब, ऐसा नहीं,ऐसा हुआ होगा
यहाँ तो सिर्फ़ गूँगे और बहरे लोग बसते हैं
ख़ुदा जाने वहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा
चलो, अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें
कम-अज-कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा-
कभी,कभी तारीफ़ का पहर, तो
कभी बुराईयों का कहर.... फिर भी चलते जाना
आगे बढ़ते जाना अपने गंतव्य की ओर, शायद!
शायद किसी की इसी चहल पहल को आशाओं से भरा जीवन कहते हैं।-
"राम' जैसा चाहे,
वह, वैसा हो जाता हैं।
तिनका वज्र, तो
वज्र, तिनका हो जाता हैं।।
हम तो एक निमित्त मात्र...
राम भरोसे
जय श्री राम🚩-
पुजा तो हमने भी कलाम और अशफाककुल्लाह खां को, लेकिन
हम नहीं पुज सकते अफ़ज़ल और कसाव को।-