25 DEC 2018 AT 8:14


"इन्द्रमणि जी! तुम अग्रदूत थे"
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इन्द्रमणि जी!
तुम अग्रदूत थे,
देवभूमि के सच्चे सपूत थे,
उत्तराखंड की अस्मिता के लिए,
तुम तो मानो एक "देवदूत" थे।
उत्तराखंड की,
तुम गाथाऐं नित गाते,
देश-विदेश तक रुबरु कराते,
सादा जीवन संस्कार "देवभूमि" के,
किए प्रचार "देवसंस्कृति" का घूम-घूम के।
राजनीतिज्ञ नहीं,
तुम तो जननितिज्ञ थे,
उत्तराखंड के चप्पे-चप्पे से विज्ञ थे,
शैल-शिखर, वन, सब नदी और नाले,
इस "धर्म धरा" के थे तुम सच्चे रखवाले।
उत्तराखंड,
आन्दोलन के महानायक ,
सौम्य, सरल उत्तराखण्डियों के सहायक,
संकल्प एक था, पृथक उत्तराखंड बन जाए,
बलिदान इसके लिए चाहे मेरा तन हो जाए।
भले ही विरोधी,
तुम्हारी इस हठ पर हंसते थे,
पर तुम तो उत्तराखंड के जन मन में बसते थे,
तुम्हारी पुकार से उत्तराखंड चल पड़ता था,
तुम्हारी हुंकार से समूचा देश जल पड़ता था।
अडिग उत्तराखंडी,
उत्तराखंड की आस में सो गए,
उत्तराखंड के लिए ही बलिदान हो गए, विकल शरीर पर विचारों में थी आंधी, सत् सत् नमन तुम्हें युगपुरुष पहाड़ के गांधी।

- Dr. nmbadoni (aviral)