Dr.Mukesh Nausran   (Dr mukesh nausran)
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Joined 21 January 2021


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14 HOURS AGO

इश्क़ वो आ'ला ज़हर है जिसमें
ज़िंदगी मौत को तरसती है
Dr mukesh nausran
06/05/2024

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3 MAY AT 15:20

रहे उलझे वो आज़माने में
ख़बर ये हो गई ज़माने में
मान जाने में वो लुत्फ़ कहाँ
मज़ा आता है जो मनाने में
Composer:dr mukesh nausran
03/05/ 2024

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1 MAY AT 20:06

कल ये चर्चा थी चाँद तारों में
बेकली सी है आबशारों में

मेरा क़ातिल वो कोई और नहीं
छुप के बैठा है आप सारों में

composer : dr mukesh nausran
01/05/2024

बेकली….बेचैनी,घबराहट
आबशार…प्राकृतिक पानी का स्रोत,झरना

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1 MAY AT 0:02

दिल-ए-ग़रीब तेरी हालत पे तरस आता है
खेल समझते है तुझे , वक़्त बिताने वाले
Composer:dr mukesh nausran
01/05/ 2024

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30 APR AT 4:09

मैं ये तस्दीक़ करना चाहता हूँ
ज़ख़्म क्या वाक़ई भर जाते हैं
Composer:dr mukesh nausran
30/4 / 2024

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29 APR AT 9:00

रात आँखों में गुज़र जानी है
बाद आया है कोई मुद्दत के
Composer:dr mukesh nausran
29/4 / 2024

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27 APR AT 11:04

वक़्त होता अगर दवा सबकी…!

लोग मरहम तलाश क्यों करते

Composer:dr mukesh nausran
27/4 / 2024

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26 APR AT 5:29

तलब बनकर तिरी ज़िंदा रहूँ मैं
मिरी बस आख़िरी ख़्वाहिश यही है
Composer:dr mukesh nausran
26/4 / 2024

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25 APR AT 9:14

मुलाक़ातें तेरी उँगली की ,मेरा
दिल क्या ज़ेहन तक झिंझोड़ती है
Composer:dr mukesh nausran
25/4 / 2024

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24 APR AT 4:44

उन दिलों को सुकून दे …मौला


इश्क़ का जो अज़ाब झेल आये

Composer:dr mukesh nausran
24/4 / 2024

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