Dr.MOIN KHAN   (Gorwal)
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NOW I AM BEING UNDERESTIMATED.
BUT TOMORROW...NEVER
Amen ,Inshaallah"
From❤️ HARYANA 🇮🇳
Joined 15 September 2017


NOW I AM BEING UNDERESTIMATED.
BUT TOMORROW...NEVER
Amen ,Inshaallah"
From❤️ HARYANA 🇮🇳
Joined 15 September 2017
19 JUL 2020 AT 21:11


" ख्याल "

मेरी अधूरी मोहब्बत के
आज भी सताते है

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19 OCT 2021 AT 14:47

मुझे याद कर के #गुनाह न कर
मुझे भूल जाओ तुम ये #सवाब है 🙏

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13 OCT 2021 AT 22:43

प्यार इश्क़ मोहब्बत , जन्नत के शब्दों को ख़ुदा जोड़ता हैं
मग़र इश्क़ मैं इंसान को, इंसान ही छोड़ता हैं

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6 OCT 2021 AT 17:09

My intention, perception and observation is not wrong
if someone else changes his mind.

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6 OCT 2021 AT 14:38

कुछ अलग करना होगा
ओर इंशाअल्लाह करके रहेंगे, लेकिन

" अब पछताए होत किया जब
जब चिड़िया चुग गई खैत ,

हम थे नहीं, हम बन गये थे....


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2 OCT 2021 AT 12:36

फिर हुई खानवा की लड़ाई

खानवा की लड़ाई मेवाड़ के राणा सांगा और बाबर के बीच हुई। उस समय हसन खां मेवाती की देशभक्ति देशभर में प्रसिद्ध हो चुकी थी। हसन खां मेवाती ने इस लड़ाई में राणा सांगा का साथ दिया। 15 मार्च 1527 को हसन खां ने राणा सांगा के साथ मिलकर खानवा के मैदान में बाबर के साथ जमकर युद्ध किया। अचानक एक तीर राणा सांगा के सिर पर आ गया और वे हाथी से नीचे गिर पड़े, फिर सेना के पैर उखडऩे लगे तो सेनापति का झण्डा खुद राजा हसन खां मेवाती ने संभाल लिया और बाबर सेना को ललकारते हुए उनपर जोरदार हमला बोल दिया। राजा हसन खां मेवाती के 12 हजार घुड़सवार सिपाही बाबर की सेना पर टूट पड़े और उनपर भारी पड़ते दिखे, फिर अचानक एक तोप का गोला राजा हसन खां मेवाती के सीने पर आ लगा और मेवाती लड़ते लड़ते वीर गति को प्राप्त हो गए।

अब वापस याद कर रहे

हसन खां मेवाती की वीरताभरी गाथा लोगों तक पहुंचाने के लिए अलवर में हसन खां मेवाती का पैनोरमा बनाया गया है। इसके बाहर उनकी घोड़े पर सवार एक प्रतिमा लगाई गई है। यह पैनोरमा 85 लाख की लागत से बना है।

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2 OCT 2021 AT 12:31

पानीपत की लड़ाई में बाबर का सामना किया

हसन खां मेवाती ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी का साथ दिया। उन्होंने विदेशी अतिक्रमणकारी बाबर के खिलाफ अपनी सेना उतार दी। इस युद्ध में बाबर ने मेवाती के पुत्र को बंधक बना लिया। इस युद्ध में लोदी हार गए, लेकिन मेवाती नहीं हारे, वे बाबर के खिलाफ लडऩे के लिए राणा सांगा के साथ मिल गए।

देशभक्ति की मिसाल थे मेवाती

हसन खां मेवाती वतन परस्ती की मिसाल थे। हसन खां मेवाती भारत माता के वो सच्चे सपूत थे जिन्होंने बाबर को रोकने के लिए अपने राज्य की कुर्बानी तक दे दी। एक दिन मेवाती को बाबर का पैगाम मिला, उसमें बाबर ने मजहब की दुहाई देते हुए उससे मिलने का प्रस्ताव दिया। बाबर ने इसके साथ मेवाती को कई और लालच दिए, लेकिन मेवाती ने उनका पैगाम ठुकराकर देशभक्ति को चुना। इसके बाद बाबर ने धमकी देना शुरु किया, बाबर ने लिखा कि मैं तुम्हारे पुत्र को रिहा कर दूंगा, तुम मेरे से आकर मिलो, इसपर मेवाती ने जवाब दिया कि अब हमारी मुलाकात युद्ध के मैदान में होगी।

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2 OCT 2021 AT 12:25

"HASAN KHAN MEWATI
WARRIOR OF MEWAT "

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2 OCT 2021 AT 12:15

इतिहास की ज़ुबानी : फिरोजशाह तुगलक एक बार शिकार खेलने गया. फिरोजशाह समरपाल नामक मेव राजपूत युवक के साथ शेर का शिकार कर रहे थे. तभी पीछे से शेर फिरोजशाह पर लपका. फिरोजशाह संभलते तब तक देर हो जाती लेकिन इसी दौरान समरपाल ने अपनी तलवार के जबरदस्त वार से शेर की गर्दन उतार दी. फिरोजशाह ने समरपाल को बहादुर नाहर की पदवी दी. सुल्तान का करम हुआ तो समरपाल का परिवार इस्लाम में बदल गया. इसी समरपाल नाहर बहादुर की अगली पीढ़ियों में हसन खां मेवाती हुए तो महाराणा सांगा की राजपूत सेना की ओर से लड़े और अपनी बहादुरी की मिसाल कायम की.

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2 OCT 2021 AT 12:12

" मेव "

आम तौर पर मेव शब्द के साथ ही दिमाग में छवि उभरती है कद्दावर, उभरती ललाईं लिए गोरे चिट्टे लोग. ऊंची नाक, चौड़ा माथा और छरहरा शरीर. पेशा पशु पालन या खेती बाड़ी. हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों में फैली मेव आबादी. कुछ दशक पहले तक पहनावा, रहन सहन, बोली बानी, खान-पान यहां तक कि खुशी गमी के रीति रिवाज सब राजस्थानी या हरियाणवी, बहुत हद तक राजपूतों से मेल खाते. हालांकि जब से देवबंद की दीनी जमातें आने लगी हैं इनका परिवेश सब कुछ बदल-बदल सा गया है. औरतें घाघरा चोली और चुनरी के बजाय बुर्कों में नजर आती हैं. पुरुष धोती, तहमद और अंगरखे की बजाय ऊंचे पाजामे और नीचे कुरते में. चेहरे पर दाढ़ी सिर पर गोल टोपी. यानी अब पहचान का सवाल यहां भी दिखता है.

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