Dr.KUNAL DAWAR  
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Joined 4 April 2018


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26 DEC 2021 AT 19:18

मोहब्बत तो अब सिर्फ़
बिस्तर पर होती है
वो ज़माना और था
जब ख़त लिखे जाते थे..

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10 DEC 2021 AT 0:47

जो कभी सांसों से
मेरा हाल जान लेता था
अब सांस चल भी रही है या नहीं
उसको यह भी खबर नहीं..

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17 NOV 2021 AT 22:48

काश लिख देता खत में
सब रंजिशें सब शिकायतें
ये कलम भी न ज़ालिम
सब खैरियत पे ही अटक गयी..

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20 AUG 2021 AT 16:34


एक ही तो निशानी है
जो बची है उसकी
अब भला मैं कैसे
झूठ बोलना छोड़ दूँ...

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9 AUG 2021 AT 12:34

हम खाली जेबों की क्या ही औकात
हमारी गलियों से तो सिर्फ़
उम्मीदें गुज़रा करती हैं
उनसे जाकर पूँछो इश्क़ का पता
जिनकी जेबों में चमक है
पैसे वालों के चौक पे ही तो
मोहब्बत मुजरा करती है...

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26 JUL 2021 AT 19:26

सुनो जो सोचे थे
बच्चों के नाम हमने
उसको भी वही बताये हैं
या अपनी तरह तुमने
वो भी बदल दिये..

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31 DEC 2020 AT 23:00

वो ही पुराने दर्द
वो ही पुरानी यादें
और वो ही पुराना रोग
अबकी बार बस
ये साल नया होगा...

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29 DEC 2020 AT 23:35

मेरी हाथों की लकीरें
बिन तेरे मेरी वो तस्वीरें
तेरे लिए लिखा वो ख़त
तेरे मेरे घर की वो छत
मेरा इंतज़ार वो सड़क पे
मेरे चलते वो कदम
तेरा मेरा साथ
हमारी वो आखरी बात
जल्दबाज़ी में हुई वो मुलाकात
मेरे होंठों पे अटके अल्फाज़
आज भी अरसों बाद
मुकम्मल नहीं कुछ
सब तो अधूरा है...

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25 DEC 2020 AT 0:18

कसमें वादे वो वफ़ा के दावे
बस अब बहुत हो गया
वो जो हमसफर था ना
सफ़र में ही खो गया...

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22 SEP 2020 AT 23:50

न है अब आवाज़ कोई
न कोई अब आहट होती है
बेचैनियाँ हैं जो खेल रहीं साथ में
एक राहत है जो दूर बैठ के सोती है..

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