मोहब्बत तो अब सिर्फ़
बिस्तर पर होती है
वो ज़माना और था
जब ख़त लिखे जाते थे..-
Part time writer
" आम सा बंदा हूँ
सीधी साधी सोच है
पैर ज़मीन पर हैं... read more
जो कभी सांसों से
मेरा हाल जान लेता था
अब सांस चल भी रही है या नहीं
उसको यह भी खबर नहीं..-
काश लिख देता खत में
सब रंजिशें सब शिकायतें
ये कलम भी न ज़ालिम
सब खैरियत पे ही अटक गयी..-
एक ही तो निशानी है
जो बची है उसकी
अब भला मैं कैसे
झूठ बोलना छोड़ दूँ...-
हम खाली जेबों की क्या ही औकात
हमारी गलियों से तो सिर्फ़
उम्मीदें गुज़रा करती हैं
उनसे जाकर पूँछो इश्क़ का पता
जिनकी जेबों में चमक है
पैसे वालों के चौक पे ही तो
मोहब्बत मुजरा करती है...-
सुनो जो सोचे थे
बच्चों के नाम हमने
उसको भी वही बताये हैं
या अपनी तरह तुमने
वो भी बदल दिये..-
वो ही पुराने दर्द
वो ही पुरानी यादें
और वो ही पुराना रोग
अबकी बार बस
ये साल नया होगा...-
मेरी हाथों की लकीरें
बिन तेरे मेरी वो तस्वीरें
तेरे लिए लिखा वो ख़त
तेरे मेरे घर की वो छत
मेरा इंतज़ार वो सड़क पे
मेरे चलते वो कदम
तेरा मेरा साथ
हमारी वो आखरी बात
जल्दबाज़ी में हुई वो मुलाकात
मेरे होंठों पे अटके अल्फाज़
आज भी अरसों बाद
मुकम्मल नहीं कुछ
सब तो अधूरा है...
-
कसमें वादे वो वफ़ा के दावे
बस अब बहुत हो गया
वो जो हमसफर था ना
सफ़र में ही खो गया...-
न है अब आवाज़ कोई
न कोई अब आहट होती है
बेचैनियाँ हैं जो खेल रहीं साथ में
एक राहत है जो दूर बैठ के सोती है..-