तू तो फल खा
गुठली में क्या है छुपा
तू क्यों होता परेशान,
हर चीज तुझे पता हो
तू है क्या भगवान,
अच्छा धावक है तू तो क्या
अकेला पहुंच जाएगा क्या शमशान ..
डॉ कुणाल चौधरी-
कभी बिन मौसम
मिले होते
तो आज ये गम
थोड़े कम होते
डॉ कुणाल चौधरी-
फिर भी पैर फिसल गया
शायद किसी अपने का दिल फिर हम से भर गया
कभी संभाला था जिसने
उसने ही बैसाखी थमा कर अगले मोड़ पर छोड़ गया
डॉ कुणाल चौधरी-
जब बना हुआ दिखता है तो लगता है कितना आसान है
जब बनाना पड़ता है तो लगता है मुश्किल है
जिंदगी भी इसी तरह है जनाब,
जो रंग बनाना है तो कुछ और ही बनता है
सब एक रंग करने के लिए खुद को बेरंग करना पड़ता है
डॉ कुणाल चौधरी-
कि गुलाब तो गुलाब होता है
किताबों में सूख भी जाए तो क्या
वो तब भी असरदार होता है
रंग पीला हो या लाल हो
हमराज तो बस गुलाब होता है
डॉ कुणाल चौधरी-
वो तो वैसे भी मेरी ना थी,
पहुचना था उस पार
पर कश्ती मेरी ना थी,
सोचता था सांसे अपनी है
पर वो भी बस उधार की थी,
था मुसाफ़िर
जो मन से मन को मिल गया
बस वो ही पल ,वो ही दौलत हमारी थी...
डॉ कुणाल चौधरी-
कुछ काम अधूरा छोड़ आए
तेरे हार के लिए
हम अपनी हार के बीज बो आए...
डॉ कुणाल चौधरी-
जहां कोई आया था अपनी ज़मीन बेच कर
अपना आशियाना बनाने आसमां पर
न ज़मीं मिली न आसमां मिला
बस जिंदा है,अपना सब कुछ हार कर...
डॉ कुणाल चौधरी-
जिंदगी रूठने से पहले मान जाना
आसमां पर रंगोली बनाई है
बस बारिश होने से पहले मान जाना...
डॉ कुणाल चौधरी-