मुट्ठी में कुछ सपने लेकर,
भर कर जेबो में आशाएँ।
दिल मे है अरमान यही,
कुछ कर जाएँ,
कुछ कर जाएँ।।
इस जग में जितने जुल्म नही,
उतने सहने की आदत है।
तानों के भी शोर में रह कर,
सच कहने की आदत है।
मैं सागर से भी गहरा हूं,
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे।
चुन चुन कर आंघे बढूंगा मैं,
तुम मुझको कब तक रोकोगे,
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।- Dr.Hrishabh
2 JUN 2019 AT 2:11