"पिता"
"तुमसे ही रूठना, तुमसे ही शिकायतें,
तुमसे ही है हर आरज़ू, तुमसे ही हैं हर ख्वाहिशें,
तुम हो तो हैं असंख्य खुशियां, जो तुम नहीं तो किस बात की आहटें,
तुम हो तो जीवन में कुछ कर गुज़रने की है, आशा,
तुम नहीं तो जीवन में हैं सिर्फ निराशा,
शायद वह सब नहीं बयान कर पाऊंगी, क्योंकि तुमसे सिर्फ दिल का नाता नहीं बल्कि भावनाओं का नाता है।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
Book : "Tattvopapla... read more
"वह सफल प्रेम नहीं,
जिसे मात्र आपकी सफलता से प्रेम हो।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
"उस व्यक्ति का हांथ और साथ कभी मत छोड़ो,
जिसनें तुम्हारी सफलता के लिए स्वयम अपार संघर्ष किया हो।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
"कुछ सपनों को आज़ादियाँ पसन्द नहीं,
उन्हें आंखों में क़ैद कर देना ही बेहतर है।"
अपनी लेखनी से
डॉ ऋचा आर्या-
"जीवन शब्दों का खेल है, जिसे खेलना आ जाए
वही वास्तविक बाज़ीगर है।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
"खुदगर्ज़ दुनिया का हाल यह रहा,
कि बच्चे माँ-बाप पर भी स्वयम का कॉपी राइट समझने लगे"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
"सपनों की दुनिया भी बहुत नाज़ुक होती है,
ज़रा सी आहट से टूट जाती है।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-
"आप मेरे समय को तो बाँध सकते हो,
लेकिन मेरी हिम्मत को नहीं।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या
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"कुछ लोग अपने घर से निकलने के लिये व्याकुल हैं, और कुछ घर पहुंचने को। इन दोनों ही प्रकार के लोगों की व्याकुलता में अथाह भिन्नता है।"
अपनी लेखनी से,
(डॉ ऋचा आर्या)-
"झूठ कहते हैं, वे लोग कि तेरा दर्द मेरा है,
क्योंकि दर्द अनुभव का विषय है, बंटवारे का नहीं।"
अपनी लेखनी से,
डॉ ऋचा आर्या-