शायद कुछ नए शेर फिर सुनाई देंगे
उम्मीद ए वफा से फिर कोई उनकी बाहों में सो रहा है
बेवफाई से हमे कोई शिकवा नहीं
बस हमारा जाम खाली हो रहा हैं
तेरे बदन के दीवानाे की फेहरिस्त में
रोज नया नाम शामिल हो रहा है
मेरी जां तेरी आंखों के नशे में कोई डूबा था
तेरी बेरुखी में आंसू का जाम पीके जुदा हो रहा है-
पर कोई फूल ना बन सका
बागवान मिले थे बहुत इस चमन को
जहर देकर ... read more
मुझे नही पूछता कोई इस वीरान रात में
क्या सब नाच रहे है नए फूलों की बारात में
चांद कब का छोड़ गया मुझे तन्हा रात में
क्या कोई सूरज भी निकलेगा इस कायनात में
उसकी यादों से कुछ शेर लिख रहा हूं इस तन्हा रात में
एक दिन आखिर स्याही बीत जायेगी उसकी यादों की दवात में
हर नए शख्स से बददुआ ले रहा हु तेरे ख्यालात में
क्यू नही आने देती हो उन्हे मेरी हयात में
तेरे बदन की इबादत करते करते कैद हुआ अजीब जज्बात में
सरेआम तुमने अपना बदन पेश किया हवस के चन्द लम्हात में-
उठ चुकी है बज़्म पर होश में हूं
नही कोई अब जाम बाकी है
तेरी आंखों में डूबने के लिए जिंदा हूं
आजा अब भी पूरी शाम बाकी है-
जमाने भर से वादा कर चुकी हो
और जानती भी हो कि
जिस्म की चाह में
रात भर जाग लोग काफी है
रोज नया शख्स तलाशती हो
माना हम भी एक तलाश है तुम्हारी
लेकिन चांद निकले तो
इबादत के लिए अकेले काफी है
कहो मोहब्बत या दोस्ती या दिल्लगी
हमारे लिए सब एक इबादत है
हंस लो सबके साथ
साथ रोने को हम काफी है
इतना मत इंतजार कराओ हमे वस्ल का
अभी अभी खरीदी है हमने शराब
तुम्हे भुलाने को रोज
आधा पैमाना काफी है-
मुद्दतों बाद आंखे गीली हुई मेरी जो सोचा कि
इश्क के फरेब में रहबर ने मुझे कितना लूटा
मोहब्बत लूटी इबादत लूटी दौलत लूटी शराब लूटी
जख्म कुरेद कुरेद कर रोज मेरा खून लूटा
फिर सोचा कि अश्कों में बहाकर अब छोड़ दिया उसे
पर वो बार बार मिला और मुझे बार बार लूटा-
जिस्म की वहशत में जो देखा जानदारो का शहर
इश्क की गुरबत में फिर देखा बीमारों का शहर-
मुद्दतो से रात भर एक चांद का इंतजार जो हम करते रहे
चांद नही निकला तो बस ईद के दिन हम सोते रहे
सितारों ने दिया चांद का फरेब तो सितारों से गिला करते रहे
इबादत हम करेंगे कैसे सितारे बस ये पैगाम चांद तक पहुंचाते रहे-
मयकदे में जो मैं गया अपने फिराक में
किसी और शहजादे की मोहब्बत बिक रही थी
दिल लुटा कर भी जो ना मिली
वो मुझे कौड़ियों में मिल रही थी-
देखने को तो उस शख्स में थे बहुत शख्स
पर जो देखी उसकी आंखे और अंधा हो गया था मैं
आंखे जब उसने फेरी तो होश में आया
फिर बहुत कुछ देखकर जुदा हो गया था मैं-
किसी ने कहा उनका चेहरा ठीक नही है
पर जो देखा हमने होठों पे तिल और फिदा हो गए
किसी ने कहा बदन के मोड़ ठीक नही है
फिर जो देखा हमने वही तिल और फिदा हो गए
पूछा था आपने आप से कि कब तक देखते रहेंगे तिल
फिर जो उनकी रूह को देखा और फिदा हो गए
कहने वालो के साथ चला गया वो शख्स
और चुप रहकर हम तिल देखते रहे
रूह देखते देखते जुदा हो गए
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