Dr. Bharti Jha   (Bentalks)
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Joined 16 April 2025


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3 AUG AT 9:59

अफ़साने होते हैं,
एक दिन वो भी,
बेगाने होते हैं,
जी लो लम्हों को,
दो चार बार,
बदल जाते है लोग,
जब पुराने होते हैं।

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3 AUG AT 9:55

यारों की यारी भी लगती उधारी,
कभी तो बुलाते, कभी भूल जाते,
कभी साथ होते, कभी छोड़ जाते,
कभी पास बैठे, कभी आज़माते,
कभी बिन कहे ही, है रिश्ता निभाते,
कभी कह भी दो तो, हैं नज़रे चुराते,
यारों की यारी भी लगती उधारी,
चुकाते चुकाते समय हम बिताते।

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3 AUG AT 0:03

भ्रम में हो ये यकीन होगा, 

हसीन किस्सा भी एक दिन  गमगीन होगा, 

छोड़ तो दोगे मुझे शिकवा कैसा, 

जा मान लिया मैंने भी , 

दिल के जगह तेरे मशीन होगा।

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2 AUG AT 23:35

शायद यही एक प्यार है,
जो किताबों के पन्नो से,
जीवन के रंगों तक,
आ चल बैठा है,
वरना प्यार होता तो है,
पर लोगों में नहीं,
धूल खाते पन्नो में।

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2 AUG AT 22:54

आसान नहीं अब,
चाहतों के समंदर की,
पहचान नहीं अब,
एक सा लगता है,
उसका होना या न होना,
मेरे मसलों का वो काफ़िर,
समाधान नहीं अब,
खो भी दूँ यादों को,
तो टूटेगा कितना ही,
टूटे तो तब भी थे,
बस अंजान नहीं अब।

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1 AUG AT 15:07

उभर रहा हर महानुभव,
लिखता नया ज़माना है,
कुलबे - कस्बे क्यों परखा करते,
जब खुद से नज़र मिलना है।
हर राह चले, ठोकर उभरे,
जिल्लत का मिले खज़ाना है,
इससे अच्छा मृत्यु चुन लो,
गर तुमको पीठ दिखाना है।
दूर खड़े हसते होंगे,
जो देख तुझे गुर्राते है,
भय है तेरे खामोशी का,
जिसे कायरता बतलाते है।
कस कर कमर तू कूद पड़,
तुझे अपना कर्म निभाना है।
छोड़ सभी आवाज़ों को,
गर जीत का शोर मचाना है।

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1 AUG AT 14:20

उठ कर आगे बढ़ना देखा,
बढ़ते हुए उतरना देखा,
उतर कर फिर लड़ना देखा,
लड़ कर ज़िद करना देखा,
ज़िद में ख़ुद का गिरना देखा,
गिरकर भी हठ करना देखा,
हठ से भी हद करना देखा,
हद के आगे बढ़ना देखा,
बढ़ कर मेरा बिगड़ना देखा,
बिगड़ कर ख़ुद ही ढलना देखा,
ढल कर समय संग चलना देखा।

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1 AUG AT 14:04

जो ख्वाबों के परिंदे से,
उड़ कर भी लौट आयेंगे,
मन मस्तक व्याकुल होगा,
और फरेबी विलुप्त हो जायेंगे।

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31 JUL AT 19:44

दिन चढ़ते ही चढ़ता था रंग जिसका,
उसे दिन बीत जाने के बाद मेरी याद आई।

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31 JUL AT 11:41

जिनके रंग,
एक से न हैं,
एक से होते,
तो निरस होते,
जिंदगी के पैमाने,
तू चकित न होता,
अनिश्चित न होता,
जिंदगी आसान होती,
नायाब न होती।

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