तुम्हारी कुछ यादें गिरवी पड़ी है मेरे पास "सजल"
छुड़ा के ले जाओ नहीं तो ब्याज बढ़ता जाएगा।-
सामाजिक बंधनों से परे है मुहब्बत हमारी ,
तुमने भुला ही दिया तो फिर तुमसे गिला कैसा।-
वक्त भी अब कहां करता है सभी से वफ़ा ।
न जाने क्यों हमसे गलतियां हो जाती हैं हर दफा।
माफ करने वाली मुहब्बत अब खत्म हो गई।
न जाने क्यों हो जाते हैं सब हमीं से खफा-
जब कभी उसको मेरी याद आएगी।
तब वो मेरा कोई शेर गुनगुनाएगी।
जन्मदिन अब वो मेरा भूल चुकी है
आगे चलकर वो मेरी जयंती मनाएगी।-
जिस्म की ये लगन जाने कब गई
रूह की ये लगन अब भी जाती नहीं।
जिस तरह याद करता हूं मैं तुम्हे रात दिन
क्या मेरी याद तुमको सताती नहीं।-
जिस बदन को तराशा था
निगाहों से हमने कभी ।
अब वो बदन किसी और
के खातिर सजाने लगी है।-
एक जरा सी उम्मीद थी बची
थी अब वो भी जाने लगी है।
दिसंबर तो भारी था ही हम पर
अब जनवरी भी हमको सताने लगी है।-
चलो तुम भी मेरी जिंदगी के 2024 निकले।
तुम्हे भी मेरी जिंदगी में अब लौट के नहीं आना है।-
जमाने ने छीन लिया है हक जबसे तेरा जिक्र करने का।
बता ऐसा क्या लिखूं के खबर तुझ तक पहुंच जाए।-
मुंह में जीभ होते हुए, जेहन में शब्दों का भंडार होते हैं
दिल में बोलने लालसा होते हुए अगर कोई मौन है
तो उसके संघर्ष की सराहना कीजिए।-