कभी ख्याल तो कभी बेख्याल बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है.....
कभी मंजिल कभी रास्ता कभी खुद दीवार बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है
रात के मानिंद गहरे ख्वाब और फिर अकेला जगमगाता चिराग बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है.....
देखने लगूं तो पर्दा न देख सकूं तो बेपर्दा
आती जाती सांसों के साथ कम हो रहे हर लम्हें का हिसाब बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है.........
कभी खामोशी कभी शिकायत और फिर बिखरे जज्बातों की आवाज बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है...........
मन किया तो ख्याल मन न हुआ तो बेख्याल बन जाता है
तुझे पता है तू कब क्या बन जाता है...........!!-
तुम जब चाहो तभी हम मिलेंगे,
तुम्हारा जब मन करे तभी मुझसे बात करो,
तुम जितना मन करे उतना मुझसे नाराज़ रहो
सामने रहके भी चाहे तो मुझसे अनजान रहो,
मगर सुनो ना
जब भी मिलना मुझसे, गले जरूर लगाना
मन से ना सही मगर इतना हक जरूर जताना.........!!
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चाहत नफरत मोहब्बत इजाज़त ये सब कुछ तुम तय करो,
हम तुम्हें याद रहें हमारे लिए बस इतना ही काफी है।-
ये गम क्या दिल की आदत है, नहीं तो
मुझे किसी से कोई शिकायत है, नहीं तो।
किसी के बिन किसी की याद के बिन
जिए जाने की हिम्मत है, नहीं तो।
किसी सूरत भी दिल लगता नहीं, हां
तो क्या कुछ ही दिन से ये हालत है, नहीं तो।
ये गम क्या दिल की आदत है, नहीं तो
मुझे किसी से कोई शिकायत है, नहीं तो।
#jaun_aulia-
ये दुनिया उनकी जागीर है जो तन-मन से सच्चे हैं
हमे पागल ही रहने दो कि हम पागल ही अच्छे हैं.......
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तुम्हीं कहो अफसोस किस बात का करते हम
तुम्हारी बेरुखी का या अपनी बेबसी का
निगाहें नम हुई हैं और होठ कांपते हैं
तुम देख न सको हमें हम तुम्हें ऐसे झांकते हैं.........!!
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दूर से ही सही अपनी दुआ तुम तक रोज भेजेंगे
तुम देखो ना देखो
हम तुमसे बच के ही सही मगर तुम्हें रोज देखेंगे।।-
भला ये जरूरी है की नाराज़गी
हमेशा बातों से ही जाहिर की जाए,
खूबसूरत सी नजरअंदाजगी है उसकी
देखता है मुस्कुराता भी है पर
बिना एक लफ्ज़ बोले आगे निकल जाता है।
में बस आह भर लेता हूं........-
तमाम उम्र कोई किसी के साथ कहाँ चलता है........
दो चार कदम हँस के चले समझो वही अपना है......
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कल भी नही पुकारा था
नहीं आज तुम्हें आवाज दूँगा,
अब कभी नही पुकारूँगा
इतना तुम्हें विश्वास दूँगा....
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