Dr Anupam Ojha   (अ नु प म)
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Joined 14 November 2017


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3 NOV 2023 AT 11:13

“एक नया शहर बस रहा है”
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3 NOV 2023 AT 10:23

“सवेरा”
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13 JUL 2023 AT 3:58

मैं हर चीज़ से लड़ गुजरने का जज़्बा रखता हूं,
पर समय से आगे मैं निक्लू, तो कैसे,
मेरी हस्ती दिन ब दिन ख़त्म हो रही हैं,
इस बिखरती रेत को मैं समेटू,तो कैसे,
सुबह होती हैं तो खो जाता हूं ज़िंदगी जीने में,
इशा में खुदको हयात की तकलीफों में गुम होने से रोकूं, तो कैसे,
जो समय आने वाला हैं वो तो नए लोग, नए वाकिये,
नईं यादें बनाने के कईं मौके लाएगा,
जो लोग, जो वाकिये , जो विरासतें तूने पहले से दी है,
ये बता उन्हें में समय से बचाऊं , तो कैसे,
इक वजूद जो खो रहा है उसे .... बचाऊं, तो कैसे?

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22 JUN 2022 AT 20:53

#vicharमंथन
समुद्र सा विशाल बन,
खामियों पे काल बन,
भूल सारे दुख जो झेले,
नए दौर की और चाल कर,

नए पर्व की लड़ाई में,
न अपने से सवाल कर,
धैर्य सिंधु सा सहेज,
लहरों सा तू विकराल बन,

कूंच कर क्षितिज की और,
पुराने किनारों को टाल कर,
समय आगया साबित करने का खुदको,
अब ऐसा तू कमाल कर,

बोहोत हुए भूत के वार,
सुनहरा भविष्य काल बन,
झेल गया तू संकट सारे,
लोहे सी मजबूत ढाल बन,

अब हार जाए विपदाएं सारी,
ऐसी शक्ति खुदको बहाल कर,
दुनिया में है ताल कई,
तू समुद्र सा अब विशाल बन।

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16 MAY 2022 AT 18:44

हर बार चढ़, हर बार उतर,
खरोच के मेरे दिल का तू दर,
रेत लेजाता है, लौटाता है,
घाव देता है, सहलाता है,
दर्द सौ देजाता है,
फिर यार समझ नही आता है,
तुझपे प्यार क्यों आता है?
तुझपे प्यार क्यों आता है?

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21 MAR 2022 AT 15:38

तेरी रौशनी की उम्मीद में हम लैल के अंधेरों से जंग कर गुजरे,
सौ जख्म हुए सीने पे, पर तेरे उजाले का इंतज़ार जरूरी था,
और फिर तेरी सुबह की सुभा ने हर घाव भर दिया मेरा,
तीरगी को चीर के उठते आफताब का नज़ारा इस कदर मुकद्दस था।

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1 FEB 2022 AT 1:10

खुदा कुछ तो करो,
ऐ खुदा कुछ तो करो, की उसकी याद भूला दू मैं,
जीने का एक नया मकसद तो दो,
के उसके मिलने की फ़रियाद भुला दू मैं।— % &

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21 JAN 2022 AT 22:49

कौन कहता है तू जिंदा नही, मेरे शहर,
जो कहते हैं वो बदनसीब क्या जाने,
तेरे किस हिस्से में, किसका दिल धड़कता हैं।

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19 JAN 2022 AT 11:59

काफ़ी हुआ ये तेरा रूखापन,
काफ़ी हुई तेरी सर्द मौसम की तीखी हवाएं,
तेरे उजले सूरज की ऊब से नवाज़ मुझे,
थोड़ी गुनगुनी तपीश के साथ जिंदगी अब मुझे जीने दे।

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26 DEC 2021 AT 21:13

बचपन से तुझसे हिम्मत मांगी,
पर तेरी हर लहर के थपेड़े ने मुझे गिरा दिया,
हर धक्के से जांचा मेरे धैर्य की क्षमता को,
और उठकर आगे बढ़ना सीखा दिया।

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