Dr Aashutosh Pandey   (Koi apna)
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Joined 15 April 2018


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Joined 15 April 2018
3 MAY AT 21:43

तमन्नाएं अभी भी वही है
बस रस्ते बदल गए
मंजिल की चाह में
किस्से बदल गए
जो साथ चलता था कभी
समय के साथ वह भी खो गए
नए दोस्त मिले और मैं साथ चल पड़ा
मंजिल का तो पता नहीं
फिर भी रिश्ता चल पड़ा

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15 AUG 2024 AT 8:40

दिल में दर्द इतना है कि
मौत भी मजाक लगती रही है
अपनो का तो पता नही
मौत अब पास लग रही है

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21 APR 2023 AT 15:38

जब समय खराब चले तो शांत हो जाना चाहिए
दोस्तों से भी साथ मांगने के लिए औकात होना चाहिए
मुड़ कर बार बार पीछे देखो साथ चलने वाले को
थोड़ी सी ही बात पर गवां दोगे सभी रिश्ते
इसी लिए अपनो से नहीं
अपने से संवाद होना चाहिए

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15 APR 2023 AT 13:17

घर से बहुत दूर आया हूँ
उम्मीदों की गठरी बहुत भारी हैं
तुम तो अपने हो, मुझे समझो
इसी मे समझदारी हैं
ना ही डगर का पता, ना मंजिल हमारी हैं
भटकना हैं यही पर, सब थोड़ी ही सरकारी हैं
और क्या है की
मिलेंगे फ़िर
यारी तो पुरानी हैं
चाय की तफ़री पर होगी बहुत सारी बातें
यही तो जिंदगानी है
कुछ पुरानी बातें,
कुछ नयी तो सुनानी हैं
थोड़ा सबर तो करो
थोड़ी ये जिंदगी ठहरा हुआ पानी हैं
और जानते हो
घुमा मै बहुत
ये खुशियाँ और बेचैनी तो हमारी हैं
तुमको भुला नहीं
तुम जिंदगी हो या यही जिंदगानी है

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1 MAR 2023 AT 21:06

बहुत कुछ खोया हूँ
तेरे लिए भी बहुत रोया हूँ
काश तुम पास आओ ना
मुझे गले लगाओ ना
अकेले टूट गया हूँ
मेरा सहारा बन जाओ ना
ख़्वाब बहुत संजोया हूँ
बस साथ निभाओ ना

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1 MAR 2023 AT 21:01

ये हवा भी तुम्हारी याद दिलाती है
चले आओ ना मिलने
पतझड़ भी चले गये
सहतूट भी अब मुस्कुराती है

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1 MAR 2023 AT 20:57

कभी सुबह तो कभी शाम होगी
हर जाम आपके नाम होगी
आप चाहो तो स्वीकार करो
नही किया तब भी
ये जिंदगी आप पर ही कुर्बान होगी

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1 MAR 2023 AT 20:51

हैं मेरे life में
कैसे बताऊ कितनी खास हैं
जैसी भी हो
है तो मेरे पास ही
बहुत ही खास ही
रूठना मनाना तो लगा रहता हैं
उसके बिना कितना अधूरा हु
ना बताना रहता हैं
मेरी बहन हैं
मेरा यार भी
माँ बापू की दुलारी
मेरा संसार भी

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23 FEB 2023 AT 1:22

इन आँखो के समुंदर को भी चिर जायेंगे
मु'आशक़ा तो करो
तुम्हारे नाम का ताज- ए - मीर बनायेंगे

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23 FEB 2023 AT 1:13

न जाने इस मंजिल को क्या हो गया
बिकता ही नहीं
फ़रवरी जा रहा
लेकिन वह दिखता ही नहीं
उसकी की कीमत को आंकने मे
मैंने अपनी खुशियाँ और जिंदगी लुटा दी
पता नहीं कितनी दूर हैं मिलता ही नहीं

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