रात अधूरी थी ख़्वाब अधूरे थे
नींद कैसे आती जस्बात अधूरे थे 💕-
Dpk .
(Dpk .....✍️)
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Artist
Joined 5 January 2019
4 MAY AT 0:44
कितनी निगाहों से बचे
कितनी जुबानों से फिसले
ये महूब्बत के किस्से है साहब
सूखे गुलाब की तरह किताबों से निकले
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28 MAR AT 14:18
दुनिया कल भी थी
वहीं दुनिया आज है
कितने आए कितने गए
मगर महूब्बत की निशानी तो ताज है-
26 MAR AT 0:21
सच्चे रिश्तों को दिखावे की जरूरत नहीं लगती
दूरियां बढ़ जाए मगर किसी की नजर नहीं लगती-
16 MAR AT 0:24
तेरे खतों को आज तक रद्दी नहीं बनाया हमने
तेरे सारे तोफे घर में नहीं सजाए हमने
तू कागज की बात छोड़ दिल से पूछ
तूने दिया था एक पत्थर जिसे भगवान बनाया हमने ।
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14 MAR AT 0:31
न तोड़ सके सितारे तेरे लिए तो क्या
दिल भी नहीं तोड़ेंगे कभी
आसमान न छू सके तो क्या
जमीन नहीं छोड़ेंगे कभी।
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