परिवार को मालिक बनकर नहीं माली बनकर संभालो क्योंकि जिस बगिया का माली अच्छा होता वहाँ हर फूल महकता है।
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Ya Allah,
Grant me the sabr to fight the battles of this world, Grant me the strength to go through with everything. Ya Allah, you are my only hope.
Without You, I have no one.
So be with Me ya Rab. Let not this sadness or grief make me a loser.
Grant me the best and make me the best. Grant me the success ya Rab.
Aameen🤲🏻-
इस जिंदगी के सफर में थकान बहुत है,
अपनो के अपनो पर यहां इल्जाम बहुत हैं।
शिकायतों का दौर देखती हूं तो थम सी जाती हूं,
क्योंकि उम्र कम है और इम्तिहान बहुत हैं।-
Hum Shayaro Se Taluk Rakho Tabiyat Thik Rahegi.
Hum Woh Hakim Hai Jo Lafzo Se ilaaz Kiya Karte Hai..
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Mohalle ki galliyan aajkal udaas hai..
Suna hai wo dopaher mein,
bekhaoff daurte bachche ,
ab zimmedaar ho gye hai….!!-
सुनो साहिब!
अच्छाई के रवैये याद रखती हूँ,
मुश्क़िल में जो काम आये,वो रिश्ते याद रखती हूँ,
अगर मैं हद से बढ़ती हूँ ,तो नतायेज़ ख़ुद ही सहती हूँ,,
नताएज़ पर जो बदले थे,वोह बंदे याद रखती हूँ,
सुनो, सुनो
जो ज़र्फ़ रखती हूँ तो अना भी है पास मेरे,
मैं बातें भूल भी जाऊँ तो लहजे याद रखती हूँ……!-
तेरे साथ बिताये कुछ पल....🥺
उसी मोड़ पर ले आए फिर सारे सवाल मुझे सोचा नहीं था तेरे जवाब आने लगेंगे....
रूठी रही खुदसे हर दूसरे कदम पर सोचा नहीं था कदम लौटकर तेरे यहां आने लगेंगे....
कई रातों तक सोई नहीं है मैं सोचा आंख लगी तो तेरे ख्याल आने लगेंगे....
मिलते हो मुझसे तो अब नजरे नहीं मिलाते सोचा नहीं था नजर मिली तो सैलाब आने लगेंगे.....
हां! हार ही गई मैं तुझसे इस बार सोचा जीती तो तेरे दिए जख्म याद आने लगेंगे....-
कुछ ऐसी बातें जो मैं सोचती हूँ पर कह नही पाती...
जहऩ में हर वक़्त हजारों ख्याल पलते हैं पर अगर कोई सामने से पूछ ले तो लब इस तरह खामोश हो जातें हैं जैसे बरसों से कुछ बोले ही ना हों.
बातें हलक तक आती तो हैं पर जबान साथ ही नहीं देती..
कुछ एक सवालों को तो अक्सर खामोशी से टाल देती हूँ और कुछ एक बातों का जवाब हल्की दबी हुई सी मुस्कुराहट से दे देती हूँ.
अब ना तो किसी के सवालों के जवाब देना चाहती हूँ और ना ही किसी की बातों में अपनी कोई बात रख उसे आगे बढ़ाने का सोचती हूँ.
आजकल हद से ज्यादा ही ख्यालों में गुम रहने लगी हूँ
कुछ बदल सी गयी हूँ.... ये चमकती दुनिया रास नहीं आ रही आजकल... ऊँचीं इमारतें अब अपनी तरफ नहीं खींचती ना ही बड़ी बड़ी आलीशान कोठियों की तरफ ध्यान जाता है.
अब जीना चाहती हूँ एक ऐसी जगह में जहाँ हर सुबह कुछ पल खुद के लिए निकाल सकूँ.. जहाँ हर शाम चाय पर तुम्हारा इंतजार ना हो.. जहाँ आस पास कोई ना हो फिर भी किसी की कमी खले ना मुझे.
हाँ पागलों वाली बातें करने लगी हूँ.. आजकल खुद से ही दुख दर्द बाँटने लगीं हूँ.
एक जो शब्द होता है “ उम्मीद ” अब इसकी भी जरूरत नहीं लगती मुझे... आँखों के सामने सब खत्म होते देखा है मैंने
और अब फिर से सब कुछ बनाने का मन नहीं होता.
हजारों ऐसी बातें हैं जो जहऩ में हैं पर जबाऩ पर कभी आने नहीं देती.. . .-
कुछ अनसुनी कुछ अनकही बातें...
तुम और तुम्हारा शहर......
जब भी तुम्हारे शहर में मेरा आना होता है
ऐसा लगता है खुद में अंदर कुछ मर रहा हो मेरा
उन सड़कों उन गलियों को निहारते हुए
आँखें पत्थर सी हो जाती हैं मेरी..
ना जाने क्या ढ़ूढ़ती हूँ उन राहों में...
कुछ जाना पहचाना सा.. या फिर कुछ पुराने पल..
तुम्हें खोजती हैं मेरी ये आँखें ये जानते हुए भी कि तुम दिखोगे नहीं यहाँ..पर अगर कभी दिख गए..
तो क्या कुछ देर के लिए ठहरोगे ?
और गऱ ठहर गए तो क्या कहूँगी मैं तुमसे..?
मेरे पास तुमसे कहने के लिए कुछ है ही नहीं..
और खामोशी समझना तो तुमने काफी पहले छोड़ दिया है ना ? तुम्हारे शहर में आना मौत आने जैसा ही है...
फिर भी ना जाने क्यों हर बार खुद को तुम्हारे शहर में मिल जाती हूँ मैं.. !
IG: @dora_queen-